Shani Sade Sati Dhaiya 2025: ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को दंडाधिकारी और न्यायाधीश कहा गया है. वे प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं. नवग्रहों में शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है, जिसे एक राशि से दूसरी में जाने में करीब ढाई वर्ष का समय लगता है. शनि का यह धीमा और दीर्घकालिक प्रभाव ही साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे योगों को जन्म देता है, जो जीवन में बड़ी चुनौतियां लेकर आते हैं.
शनि को सूर्य का पुत्र माना गया है और वैदिक ज्योतिष में उन्हें पाप ग्रह की पहली श्रेणी में रखा गया है. उन्हें यमराज के समकक्ष माना जाता है. वे मकर और कुंभ राशि के स्वामी होते हैं. हालांकि, जब शनि शुभ स्थान पर होते हैं, तो व्यक्ति को सफलता, सुख-सुविधाएं, न्यायप्रियता और परिश्रम का उचित फल प्रदान करते हैं.
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शनि के प्रभाव से व्यक्ति वकील, न्यायाधीश, राजनेता, किसान, व्यापारी (विशेषकर तेल, चमड़ा, कंबल से जुड़ा व्यापार) तथा विद्युत उपकरणों में निपुण बन सकता है. लेकिन यदि शनि अशुभ हों, तो जीवन में रुकावटें, रोग और संघर्ष बढ़ते हैं.
मीन राशि में शनि का गोचर: मार्च 2025 से प्रभाव
29 मार्च 2025 से शनि मीन राशि में गोचर कर चुके हैं और वे 3 जून 2027 तक इसी राशि में स्थित रहेंगे. मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं, और शनि तथा बृहस्पति सम ग्रह माने जाते हैं, यानी एक-दूसरे के लिए तटस्थ या कभी-कभी विरोधी.
ऐसे में शनि का मीन राशि में होना शुभ संकेत नहीं माना जाता, क्योंकि यह गोचर प्राकृतिक आपदाओं, सामाजिक संघर्षों और बीमारियों में वृद्धि ला सकता है.
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का वर्तमान प्रभाव (2025)
- मेष राशि – चढ़ती साढ़ेसाती (प्रभाव: सिर)
- मीन राशि – दूसरी चरण (प्रभाव: पेट)
- कुंभ राशि – अंतिम चरण (प्रभाव: पैर)
ढैय्या का प्रभाव
सिंह और धनु राशि पर वर्तमान में शनि की ढैय्या चल रही है.
सिंह और धनु राशि पर वर्तमान में शनि की ढैय्या चल रही है.
शनि की दृष्टि का प्रभाव
शनि जन्मकुंडली में जिस भाव में बैठते हैं, उस भाव के फल को मजबूत करते हैं. लेकिन जिन भावों पर उनकी दृष्टि पड़ती है (विशेषकर तीसरी दृष्टि), वहां बाधाएं या परेशानियां देखने को मिलती हैं. इसीलिए कई लोग शनि की महादशा या अंतरदशा से डरते हैं. लेकिन यदि शनि शुभ स्थान में हो, तो वह दीर्घकालिक सफलता और जीवन में स्थिरता प्रदान करते हैं.
शनि दोष को शांत करने के उपाय
- हनुमान चालीसा का पाठ करें
- हर शनिवार को हनुमान चालीसा पढ़ें, और बंदरों को गुड़ व भुना चना खिलाएं.
- दान-पुण्य करें
- गरीबों को भोजन कराना, वस्त्र दान देना शनि दोष को शांत करता है.
- मंत्र जाप
- प्रतिदिन स्नान के बाद 108 बार जाप करें: “ॐ शं शनैश्चराय नमः”
- काली चींटी को मीठा भोजन दें
- आटे में गुड़ या शक्कर मिलाकर काली चींटियों को खिलाएं.
- छाया दान करें
- शनिवार को सरसों या तिल के तेल में चेहरा देखकर उसे मंदिर में दान करें.
- पीपल के वृक्ष की पूजा करें
- सूर्योदय के बाद पीपल को जल अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं. परिक्रमा करें (3 या 7 बार).
- बटुक भैरव की पूजा करें
- शनि के अधिदेव बटुक भैरव की पूजा शनि दोष को शांत करती है.
- नीलम रत्न या लोहे का छल्ला धारण करें
- शनिवार को नीलम रत्न मध्यमा अंगुली में पहनें (ज्योतिषीय परामर्श से).
- या काले घोड़े की नाल या नाव की कील से बना लोहे का छल्ला पहनें.
विशेष परामर्श के लिए संपर्क करें
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594 / 9545290847