Shukra Pradosh Vrat 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की चतुर्दशी तिथि भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से समर्पित होती है. इस दिन, भगवान शंकर के भक्त प्रदोष व्रत का पालन करते हैं और प्रदोष काल में विधिपूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. अप्रैल महीने में, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत शुक्रवार को पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है. मान्यता है कि शुक्र प्रदोष व्रत करने से सुख, समृद्धि और संतान की इच्छाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं कि शुक्र प्रदोष व्रत कब मनाया जाएगा और इस दिन किन कार्यों से बचना चाहिए.
प्रदोष व्रत तिथि
इस वर्ष वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 25 अप्रैल को सुबह 11:44 बजे प्रारंभ होगी. यह तिथि 26 अप्रैल को सुबह 8:27 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, 25 अप्रैल 2025 को वैशाख मास का पहला प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. चूंकि यह दिन शुक्रवार है, इसे शुक्र प्रदोष के नाम से जाना जाएगा.
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प्रदोष व्रत के दिन किन बातों का ध्यान रखें
- प्रदोष व्रत के दिन किसी का अपमान करना उचित नहीं है.
- इस दिन तामसिक भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए.
- व्रत के समय किसी के प्रति नकारात्मक विचार नहीं लाना चाहिए.
- काले रंग के वस्त्र पहनने से परहेज करें.
- शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते चढ़ाना न भूलें.
- किसी भी प्रकार के विवाद में न पड़ें.
प्रदोष व्रत का पालन अवश्य करें
प्रदोष व्रत के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें और शुक्र प्रदोष व्रत का संकल्प लें. घर के मंदिर और पूजा स्थल की सफाई करें और भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें. इसके पश्चात, शिव परिवार की विधिपूर्वक पूजा करें. शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, धूप और दीप अर्पित करें. शुक्र प्रदोष व्रत की कथा का पाठ अवश्य करें.