Terhavin Ka Khana: हिंदू धर्म में तेरहवीं का विशेष महत्व होता है. यह श्राद्ध कर्म की अंतिम क्रिया मानी जाती है, जिसमें दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रेत भोज या ब्राह्मण भोज का आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर परिवारजन, रिश्तेदार और परिचितों को आमंत्रित कर भोजन कराया जाता है. तेरहवीं का यह भोजन धार्मिक दृष्टि से पुण्यफलदायी होता है, लेकिन इसे ग्रहण करने के बाद कुछ परंपरागत नियमों का पालन करना अनिवार्य माना गया है. मान्यताओं के अनुसार, तेरहवीं का खाना खाने के बाद कुछ कार्य नहीं करने चाहिए. आइए जानते हैं वे कौन-कौन से कार्य हैं:
तेरहवीं का खाना खाने के बाद इन कार्यों से बचें
मंदिर या देवस्थान जाने से बचें
तेरहवीं भोज के बाद व्यक्ति को तुरंत मंदिर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि माना जाता है कि इस समय शरीर और मन पूरी तरह शुद्ध नहीं रहते.
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धार्मिक ग्रंथों को न छुएं
इस दिन धार्मिक पुस्तकों का स्पर्श करना या उनका अध्ययन करना वर्जित माना जाता है, क्योंकि यह दिन शोक और पिंडदान से जुड़ा होता है.
पूजा-पाठ से करें परहेज
तेरहवीं के भोजन के बाद किसी भी तरह का पूजन, मंत्र जाप या धार्मिक अनुष्ठान करने से बचना चाहिए.
नए वस्त्र या आभूषण न पहनें
इस दिन या भोज के तुरंत बाद नए कपड़े पहनना अथवा गहने धारण करना अशुभ माना जाता है.
नवविवाहित या गर्भवती के घर न जाएं
भोजन के तुरंत बाद किसी नवविवाहित या गर्भवती महिला के घर जाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उस घर की पवित्रता प्रभावित हो सकती है.
रात्रि में अनावश्यक बाहर न निकलें
तेरहवीं के दिन रात के समय बाहर जाना टालना चाहिए, क्योंकि इस समय वातावरण में आत्मिक ऊर्जा अधिक सक्रिय मानी जाती है.