Vaisakh Amavasya 2025: वैशाख अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार एक अत्यंत पवित्र तिथि मानी जाती है. इस दिन दान, स्नान और तर्पण का विशेष महत्व होता है. दीपक जलाना भी एक शुभ कार्य है, जो पितरों की शांति, नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति और घर में सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है. आइए जानते हैं कि इस साल वैशाख अमावस्या कब है, साथ ही दीपक किस प्रकार और कब जलाना चाहिए.
वैशाख महीने की अमावस्या को वैशाख अमावस्या या वैशाखी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस दिन पितृ कार्यों, तर्पण, स्नान और दान-पुण्य को अत्यंत शुभ माना जाता है. इस वर्ष वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल 2025, रविवार को आएगी. मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
समय का चयन
वैशाख अमावस्या के अवसर पर दीप जलाने के लिए संध्या का समय सबसे अनुकूल माना जाता है. सूर्यास्त के पश्चात, जब अंधेरा छाने लगे, तब घर के मुख्य द्वार, तुलसी के पौधे और आंगन में दीपक जलाना चाहिए. यह समय पितरों को समर्पित होता है.
कब है वैशाख अमावस्या 2025, जानिए महत्त्व और पूजा का सही तरीका
किस प्रकार का दीपक जलाएं
इस दिन पीतल या मिट्टी का दीपक शुभ माना जाता है. दीपक में तिल का तेल या गाय का घी भरना चाहिए. तिल का तेल पितृ दोष शांति के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है. दीपक में रुई की बाती का प्रयोग करें, जिसे पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखा जाए.
दीपक कहां जलाएं
- तुलसी के पास: तुलसी के पौधे के समक्ष दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
- मुख्य द्वार पर: घर के प्रवेश द्वार पर दीपक जलाने से दरिद्रता और नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त होती हैं.
- पितरों के लिए: यदि संभव हो तो घर के दक्षिण दिशा में एक दीपक पितरों की शांति के लिए भी जलाएं.
मंत्र और भाव
दीपक जलाते समय “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ पितृदेवाय नमः” का जप करें और मन में पितरों की शांति, घर की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्रार्थना करें.
साफ-सफाई
दीपक जलाने से पूर्व संबंधित स्थान की सफाई करना आवश्यक है. स्वच्छ वातावरण में दीपक जलाने से उसका आध्यात्मिक प्रभाव अधिक होता है. वैशाख अमावस्या पर श्रद्धा और विधिपूर्वक दीपक जलाने से जीवन में शुभता और ऊर्जा का संचार होता है.