Vat Savitri Vrat 2025 Actual Date: वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, खासकर विवाहित महिलाओं के लिए. यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को किया जाता है. हालांकि, उत्तर भारत की महिलाएं इसे एक दिन पहले करती हैं, जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत की महिलाएं इसे उत्तर भारतीयों से 15 दिन बाद करती हैं. इस दिन विशेष रूप से बरगद के पेड़ की पूजा करना अनिवार्य होता है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश बरगद के पेड़ में निवास करते हैं. अगर आप भी इस व्रत को रखने की योजना बना रहे हैं, तो यहां जानिए इससे जुड़ी सभी जरूरी जानकारी.
Vat Savitri Vrat 2025: तारीखें और शुभ मुहूर्त
वेदिक कैलेंडर के अनुसार, 2025 में ज्येष्ठ माह की अमावस्या 26 मई को रात 12:11 बजे से शुरू होगी और 27 मई को सुबह 08:31 बजे तक समाप्त होगी. इसलिए, वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) कल यानी 26 मई को ही मनाया जाएगा. इस दिन सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी.
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वट सावित्री व्रत के नियम
- व्रत की तैयारी: इस दिन महिलाएं बिना पानी के उपवासी रहती हैं, इसलिए अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
- सकारात्मक सोच: व्रत के दौरान अपनी सोच को सकारात्मक रखें और मन को दिव्य शक्ति में केंद्रित करें.
- नकारात्मकता से बचें: किसी भी प्रकार की नकारात्मकता या बुरी बातें दूसरों से न कहें.
- परिवार के आशीर्वाद लें: इस दिन परिवार के बुजुर्गों से आशीर्वाद लेना बहुत शुभ माना जाता है.
- व्रत के दौरान पहनावा: महिलाएं लाल रंग के वस्त्र पहनें और 16 श्रृंगार से सजी रहें.
- तामसिक भोजन से बचें: इस दिन तामसिक आहार का सेवन नहीं करना चाहिए.
- पतिव्रता को सम्मान दें: अपने पति से किसी भी प्रकार के विवाद या बहस से बचें.
वट वृक्ष का महत्व
बरगद का पेड़, जिसे वट वृक्ष भी कहा जाता है, इस व्रत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. पुरानी कथाओं के अनुसार, सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे बैठकर कठोर तपस्या की थी. इसी कारण इसे वट सावित्री व्रत कहा जाता है. इस दिन महिलाएं वट वृक्ष के नीचे बैठकर वट सावित्री व्रत कथा सुनती हैं. बिना इस कथा को सुने व्रत पूरा नहीं माना जाता. इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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