Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत, हर साल आने वाला एक ऐसा पावन अवसर है जो सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते की गहराई, समर्पण और विश्वास का प्रतीक भी है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और घर की सुख-शांति के लिए व्रत रखती हैं. लेकिन अगर पति-पत्नी इस दिन कुछ विशेष उपाय मिलकर करें, तो वैवाहिक जीवन में प्रेम और अपनापन और भी गहरा हो सकता है.
बरगद की पूजा करें – रिश्तों को दें मजबूती
वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. यह सिर्फ एक पेड़ नहीं, बल्कि एक आस्था का केंद्र है. मान्यता है कि इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश – तीनों देवों का वास होता है. सावित्री ने भी इसी वृक्ष के नीचे तप करके अपने पति को यमराज से वापस पाया था. पूजा के दौरान जल, रोली, मौली, अक्षत, फूल और मिठाई अर्पित करें और वट वृक्ष की 7 या 11 बार परिक्रमा करें. इससे वैवाहिक जीवन में स्थायित्व और शक्ति आती है.
पति-पत्नी मिलकर करें ये खास उपाय
अगर पति और पत्नी दोनों साथ में वट वृक्ष की छांव में बैठकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें, तो यह बेहद शुभ फलदायी होता है. पूजा में चावल, फूल, दीपक और मिठाई चढ़ाएं. फिर दोनों मिलकर वट वृक्ष की 11 बार परिक्रमा करें और हर परिक्रमा के साथ एक प्रार्थना करें – जैसे प्रेम बढ़े, जीवन में एकता बनी रहे, घर में शांति रहे. यह उपाय रिश्तों को गहराता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.
आर्थिक बरकत के लिए अपनाएं ये टोटका
घर की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए इस दिन एक छोटा-सा टोटका बहुत कारगर हो सकता है. वट वृक्ष की जड़ में 11 पीली या सफेद कौड़ियां अर्पित करें. पूजा के बाद इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी या जहां धन रखा जाता है, वहां रखें. मान्यता है कि इससे घर में धन की स्थिरता बनी रहती है और कोई बड़ा आर्थिक संकट नहीं आता. यह उपाय विशेष रूप से गृहिणियों के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है.
अपनाएं व्रत का सही विधान – तभी मिलेगा पूर्ण फल
व्रत का संकल्प सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके लें. लाल या पीले वस्त्र धारण करें और पूरे दिन व्रत रखें. यह संकल्प करें कि यह व्रत पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए किया जा रहा है. पूजा और परिक्रमा के बाद फलाहार करें या व्रत का भोजन लें. इस व्रत की सफलता श्रद्धा, निष्ठा और मन की सच्चाई पर निर्भर करती है. नियमों का पालन करना जरूरी है, लेकिन उससे भी जरूरी है मन की भावना का पवित्र होना.
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