Vrishabha Sankranti 2025: हिंदू धर्म में सूर्य के राशि परिवर्तन यानी संक्रांति का विशेष महत्व होता है. वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं, लेकिन कुछ संक्रांतियां खास फलदायी मानी जाती हैं. ऐसी ही एक पावन तिथि है वृषभ संक्रांति, जब सूर्य देव मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं. यह समय धार्मिक दृष्टि से बहुत पवित्र माना जाता है, जिसमें दान, स्नान और सूर्य उपासना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.
वृषभ संक्रांति का धार्मिक महत्व
वृषभ संक्रांति केवल एक ज्योतिषीय घटना नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति का अवसर मानी जाती है. जब सूर्य मेष से वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं, तब यह धरती पर मौसम के बदलाव का संकेत होता है. वृषभ पृथ्वी तत्व की स्थिर राशि है, और इसके प्रभाव से उत्तरी गोलार्ध में गर्मी अपनी चरम सीमा पर पहुंचती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस समय सूर्य देव आत्मा के कारक होते हैं, और इनकी पूजा करने से न केवल तन और मन को बल मिलता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है.
वृषभ संक्रांति स्नान और दान का समय
15 मई 2025, गुरुवार को वृषभ संक्रांति का शुभ दिन है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर पवित्र नदियों या घर पर ही गंगाजल मिले जल से स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है. स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित कर, तांबे के पात्र में जल, लाल फूल और गुड़ डालकर अर्घ्य देना चाहिए. साथ ही इस दिन वस्त्र, अन्न, गुड़, घी, तांबा और धन का दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. ब्राह्मण या जरूरतमंदों को दान देना श्रेष्ठ माना जाता है.
वृषभ संक्रांति शुभ योग
इस साल वृषभ संक्रांति पर ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है और साथ ही दो शुभ योग बन रहे हैं शिव योग और सिद्ध योग.
- शिव योग सुबह 7:02 बजे तक रहेगा.
- इसके बाद दिनभर और रात्रि में सिद्ध योग का प्रभाव रहेगा.
इन दोनों योगों में सूर्य देव की उपासना से रोगों से मुक्ति, मानसिक शांति और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. खासकर यदि व्यक्ति अपने जीवन में रुकावटों से परेशान है, तो इस दिन की पूजा और दान विशेष लाभ पहुंचाता है.
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