Watching Reels During Fast: हिंदू धर्म में व्रत केवल शारीरिक उपवास नहीं, बल्कि मन, वाणी और कर्म पर संयम रखने की आध्यात्मिक प्रक्रिया है. यह आत्मनियंत्रण, भक्ति और मानसिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक है कि अगर व्रत के दौरान कोई व्यक्ति इंस्टाग्राम रिल्स (Instagram Reels) या मनोरंजनात्मक कंटेंट देखता है, तो क्या यह उसकी साधना को कमजोर करता है?
व्रत का वास्तविक स्वरूप
व्रत का मतलब है किसी विशेष उद्देश्य के लिए अनुशासन का पालन करना. यह केवल भोजन न करने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि इंद्रियों को नियंत्रित कर मन को ईश्वर की ओर मोड़ने का मार्ग है. ध्यान, मंत्रजप, पाठ और एकांत की साधना व्रत का मूल भाव हैं.
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रील्स: मन का भटकाव या विश्राम?
इंस्टाग्राम रिल्स (Instagram Reels) और डिजिटल शॉर्ट वीडियो तेज़ रफ्तार, भावनात्मक उत्तेजना और मनोरंजन से भरपूर होते हैं. ये हमारे मस्तिष्क को स्थिर नहीं रहने देते. व्रत के दौरान ऐसे कंटेंट देखना मन को चंचल बनाता है, जिससे साधक की एकाग्रता और भक्ति बाधित हो सकती है.
क्या इससे आध्यात्मिक ऊर्जा पर असर पड़ता है?
मान्यता है कि उपवास के समय व्यक्ति का चेतन स्तर उच्च होता है और उसका मन सूक्ष्मतर ऊर्जा के संपर्क में होता है. इस अवस्था में यदि मन बार-बार मोबाइल स्क्रीन और असंगत रील्स की ओर आकर्षित होता है, तो यह साधना की गंभीरता को कम कर सकता है.
क्या सभी रील्स हानिकारक हैं?
जरूरी नहीं कि हर कंटेंट नकारात्मक हो. अगर कोई भक्ति संगीत, प्रेरणादायक कथा या ज्ञानवर्धक क्लिप देखता है, तो वह व्रत की भावना से मेल खा सकता है. परंतु अधिक समय तक मनोरंजन में लिप्त रहना निश्चित रूप से व्रत की मूल भावना से हटना है.
व्रत का उद्देश्य बाहरी से भीतर की यात्रा है. इंस्टाग्राम रिल्स (Instagram Reels) जैसी चीजें इस यात्रा में ध्यान भंग करने वाली हो सकती हैं. ऐसे में बेहतर होगा कि व्रत के दौरान डिजिटल व्रत भी रखा जाए, ताकि साधना पूरी शक्ति और श्रद्धा से की जा सके.
व्रत केवल शारीरिक उपवास नहीं, बल्कि मानसिक संयम और ईश्वर में एकाग्रता का प्रतीक है. ऐसे में सवाल उठता है कि व्रत के दौरान इंस्टाग्राम रिल्स (Instagram Reels) या अन्य मनोरंजनात्मक कंटेंट देखना क्या श्रद्धा और साधना को भटका सकता है? जानिए इसका आध्यात्मिक और व्यवहारिक विश्लेषण.