Weekly Vrat Tyohar List 03 to 09 August 2025:अगस्त का पहला पूरा सप्ताह धार्मिक दृष्टि से बेहद खास है. 3 अगस्त से 9 अगस्त 2025 के बीच कई व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं, जिनमें सावन की अंतिम सोमवारी और रक्षाबंधन प्रमुख हैं.
4 अगस्त (सोमवार): सावन का आखिरी सोमवार – भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा की जाती है.
सावन का अंतिम सोमवार भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित करते हैं. भक्त “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करते हुए व्रत रखते हैं और शाम को शिव कथा का आयोजन करते हैं. माना जाता है कि इस दिन पूरे मन से की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. सावन का यह आखिरी सोमवार भक्तों के लिए शिव कृपा पाने का विशेष अवसर है.
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5 अगस्त (मंगलवार): अंतिम मंगला गौरी व्रत और पुत्रदा एकादशी – संतान प्राप्ति और सुख की कामना के लिए यह व्रत रखा जाता है.
अंतिम मंगला गौरी व्रत सावन माह में आने वाला एक विशेष व्रत है, जिसे महिलाएं सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए करती हैं. वहीं, पुत्रदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों द्वारा रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर कथा सुनी जाती है और रात्रि जागरण किया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत से संतान सुख प्राप्त होता है और परिवार में खुशहाली आती है. श्रद्धालु इस अवसर पर दान-पुण्य भी करते हैं, जिससे पापों का नाश और पुण्य की वृद्धि होती है.
6 अगस्त (बुधवार): प्रदोष व्रत – भगवान शिव को समर्पित यह व्रत शाम के समय मनाया जाता है.
प्रदोष व्रत हर माह त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और यह विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित है. जब यह व्रत बुधवार को पड़ता है तो इसे बुध प्रदोष कहा जाता है, जो बुद्धि, व्यापार और सौभाग्य में वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है. इस दिन भक्त शाम के समय शिवलिंग का जल, दूध, शहद और गंगाजल से अभिषेक करते हैं. प्रदोष काल में दीप प्रज्वलित कर शिव-पार्वती की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं. माना जाता है कि प्रदोष व्रत से स्वास्थ्य, धन और मानसिक शांति प्राप्त होती है और पापों का क्षय होता है.
8 अगस्त (शुक्रवार): वरलक्ष्मी व्रत – मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का दिन.
वरलक्ष्मी व्रत मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है और मां लक्ष्मी को समर्पित होता है. यह व्रत सावन माह के शुक्रवार को पड़ने पर विशेष महत्व रखता है. इस दिन महिलाएं सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं और मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र को सजाकर पूजन करती हैं. लाल और पीले वस्त्र, फूल, मिठाई और धूप-दीप से देवी की आराधना की जाती है. मान्यता है कि वरलक्ष्मी व्रत करने से धन-धान्य, सौभाग्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. यह व्रत पति की लंबी आयु और परिवार के कल्याण के लिए भी शुभ माना जाता है.
9 अगस्त (शनिवार): सावन पूर्णिमा और रक्षाबंधन – बहनों द्वारा भाइयों को राखी बांधने का पर्व.
सावन पूर्णिमा का दिन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस दिन श्रावणी पूजन, यज्ञ और दान का विशेष महत्व है. इसके साथ ही रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है. बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई उन्हें उपहार देकर जीवनभर रक्षा का वचन देते हैं. इस दिन परिवार में प्रेम और एकता का वातावरण बनता है. सावन पूर्णिमा पर स्नान, दान और पूजा करने से विशेष पुण्य फल मिलता है और भगवान की कृपा बनी रहती है.