10 Interesting Facts about Lord’s Cricket Ground: लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड, 200 साल से भी पुराना वह मैदान है, जिसे होम ऑफ क्रिकेट और क्रिकेट का मक्का भी कहा जाता है. इसे यह उपाधि ऐसे ही नहीं दी जाती, यह वह मैदान है, जिसे क्रिकेट का गर्भ भी कहा जा सकता है. यह मैदान सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, बल्कि खेलों की दुनिया का एक ऐतिहासिक प्रतीक बन चुका है. दुनिया में जितने भी क्रिकेटर हैं, उनके मन में एक बार इस मैदान पर खेलने की मनोकामना जरूर होती होगी. जहां अधिकांश लोग इसे टेस्ट मैचों और प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों के आयोजन स्थल के तौर पर जानते हैं, वहीं लॉर्ड्स कई ऐसी छिपी हुई खासियतों और परंपराओं का भी घर है जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं. भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज का तीसरा मैच इस मैदान पर खेला जा रहा है, इसलिए यह फिर से चर्चा में है. आपको लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड से जुड़ी 10 चौंकाने वाली बातें बताते हैं, जो इस ऐतिहासिक स्थल को और भी खास बना देती हैं.
1. दो बार शिफ्ट हुआ है यह लॉर्ड्स नाम वाला मैदान
आज का जो लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड है, वह तीसरी जगह पर बना हुआ संस्करण है. इसे 1814 में बनाया गया था और यह दुनिया के सबसे पुराने क्रिकेट स्टेडियमों में से एक है. इस मैदान की शुरुआत थॉमस लॉर्ड ने 1787 में डॉर्सेट स्क्वायर में की थी. लेकिन 1811 में एक नहर निर्माण के कारण इसे सेंट जॉन वुड में स्थानांतरित किया गया. हालांकि वह मैदान भी अधिक समय तक नहीं टिक पाया और 1814 में वर्तमान मैदान की स्थापना हुई, जो पिछले 200 से अधिक वर्षों से क्रिकेट का मुख्य केंद्र बना हुआ है.

2. MCC की स्थापना और क्रिकेट के नियमों का संरक्षक
थॉमस लॉर्ड एक पेशेवर गेंदबाज थे, जिनका करियर 1787 से 1802 के बीच चला और उन्होंने मिडलसेक्स और मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (MCC) के लिए खेला. 1787 में ही मेरिलबोन क्रिकेट क्लब की स्थापना भी 1787 में हुई थी, जो मौजूदा समय में लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड का मालिक. MCC न केवल मैदान का मालिक है, बल्कि क्रिकेट के नियमों (Laws of Cricket) का संरक्षक भी है. 1788 में MCC ने क्रिकेट के पहले लिखित नियम जारी किए थे, और आज भी क्रिकेट के नियमों में बदलाव की जिम्मेदारी इसी संस्था के पास है. आज लॉर्ड्स, अंग्रेजी क्रिकेट का आधिकारिक घर है और अंग्रेजी संस्कृति का प्रतीक बन चुका है.
3. दुनिया का सबसे पुराना खेल संग्रहालय
लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड के पैवेलियन के भीतर MCC म्यूजियम है, जिसे दुनिया का सबसे पुराना खेल संग्रहालय माना जाता है. इस संग्रहालय में क्रिकेट से जुड़ी दुर्लभ बैट, जर्सी, एशेज की मूल राख वाला कलश और ऐतिहासिक दस्तावेज संभालकर रखे गए हैं. दिलचस्प बात ये है कि संग्रहालय में रखी गई कई चीजें आम जनता के लिए खुली नहीं हैं यानी यह एक गुप्त और बेहद खास कलेक्शन है, जो सिर्फ चुनिंदा लोगों को ही दिखाया जाता है. यह म्यूजियम सिर्फ एक संग्रहालय ही नहीं, बल्कि यह कॉन्फ्रेंस, क्रिसमस पार्टी या इवेंट्स के लिए भी एक अनोखा आयोजन स्थल है.

4. ऐशेज की मूल कलश हमेशा लॉर्ड्स में ही रहती है
क्रिकेट की सबसे प्रसिद्ध प्रतिद्वंद्विता इंग्लैंड बनाम ऑस्ट्रेलिया की एशेज सीरीज की जो मूल 15 सेंटीमीटर की कलश है, वह हमेशा लॉर्ड्स के म्यूजियम में रखी जाती है, भले ही सीरीज कोई भी टीम जीते. खिलाड़ियों को दिया जाने वाला कलश असली नहीं, बल्कि रिप्लिका होती है. 1882 में इंग्लैंड की हार के बाद स्पोर्टिंग टाइम्स ने एक व्यंग्यात्मक शोक संदेश प्रकाशित किया था, जिसमें कहा गया कि “इंग्लिश क्रिकेट मर गया है और उसकी राख (Ashes) ऑस्ट्रेलिया भेज दी जाएगी” और तभी से यह परंपरा शुरू हुई.
5. लॉर्ड्स के नीचे से गुजरती हैं रेलवे सुरंगें
यह सुनकर आप हैरान हो सकते हैं लेकिन लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड के नीचे रेलवे की सुरंगें मौजूद हैं. ये सुरंगें 1894 से 1898 के बीच ग्रेट सेंट्रल रेलवे की लाइन के लिए बनाई गई थीं, जिससे ट्रेनों को मैरीलेबोन स्टेशन तक ले जाया जा सके. कुल तीन सुरंगें बनाई गईं, जिनमें से अब सिर्फ एक सुरंग में यात्री ट्रेनें चलती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रेन लाइन लॉर्ड्स के बेहद पास से गुजरती है लेकिन मैदान के ठीक नीचे नहीं जाती.

6. लॉर्ड्स की लॉन्ग रूम में खाना खा सकते हैं
लॉर्ड्स की लॉन्ग रूम न सिर्फ खिलाड़ियों के लिए, बल्कि इवेंट्स और डिनर के लिए भी एक खास जगह है. यह एक ग्रेड II लिस्टेड डायनिंग रूम है, जिसमें ऊंची छतें और दीवारों पर क्रिकेट के ऐतिहासिक पेंटिंग्स सजे हुए हैं. खिलाड़ी जब मैदान में उतरते हैं, तो इसी लॉन्ग रूम से होकर गुजरते हैं. इसके साथ ही लॉन्ग रूम बार भी जुड़ा हुआ है, जो किसी भी इवेंट के लिए एक बेहतरीन ड्रिंक्स स्पेस बनाता है.
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7. मैदान की आउटफील्ड में ढलान है
लॉर्ड्स की आउटफील्ड में उत्तर से दक्षिण की ओर 2.5 मीटर की प्राकृतिक ढलान है, जो गेंद की दिशा और गति को प्रभावित करती है. लॉर्ड्स की पिच पर मौजूद प्राकृतिक ढलान/स्लोप इसकी सबसे अनोखी विशेषताओं में से एक है. यह ढलान पैवेलियन एंड से नर्सरी एंड की ओर 2.5 मीटर की ऊंचाई का अंतर है. यही ढलान गेंद की गति और स्विंग को प्रभावित करती है, जिससे गेंदबाजों को बड़ा फायदा मिलता है और बल्लेबाजों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होती है. इस ढलान की वजह से बल्लेबाजों को दोनों एंड पर बल्लेबाजी करते समय काफी सोच-समझकर खेलना होता है. अगर मौसम बादली हो, तो स्विंग और खतरनाक हो जाता है. नीचे दी गई इमेज में आप देख सकते हैं कि मैदान के एक ओर से दूसरी ओर तक स्पष्टतः 8.1 फीट (2.46 मीटर) का अंतर नजर आता है. दोनों लाइनों के बीच अंतर को देखा जा सकता है.

8. लॉर्ड्स ने ओलंपिक में तीरंदाजी (Archery) की मेजबानी की है
2012 के लंदन ओलंपिक के दौरान तीरंदाजी स्पर्धा का आयोजन लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर किया गया था. यह इवेंट 27 जुलाई से 3 अगस्त तक चला और पहली बार लॉर्ड्स ने किसी ओलंपिक स्पर्धा की मेज़बानी की. इसमें दक्षिण कोरिया ने पुरुष और महिला व्यक्तिगत वर्ग में गोल्ड मेडल जीते, साथ ही महिला टीम वर्ग में भी गोल्ड उसी देश को मिला. इटली ने पुरुष टीम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता.
9. लॉर्ड्स अब 100% रिन्युएबल एनर्जी से चलता है
लॉर्ड्स, ब्रिटेन का पहला क्रिकेट ग्राउंड बना है जो पूरी तरह से पवन ऊर्जा (Wind Energy) से चलता है. यह मैदान अब कई सस्टेनेबल पहलों का हिस्सा है, जैसे रीयूजेबल कप स्कीम, प्लास्टिक स्ट्रॉ हटाना और पानी की रिफिल करने योग्य बोतल के लिए फाउंटेन्स बढ़ाना. पेलहम लॉर्ड्स का सबसे सस्टेनेबल इवेंट स्पेस है, जहां वर्षा जल संचयन, हरित दीवारें और छत, सौर पैनल जैसी पर्यावरण-हितैषी सुविधाएं मौजूद हैं. यहां प्राकृतिक रोशनी का भरपूर उपयोग किया जाता है, जिससे यह जगह कॉन्फ्रेंस, डिनर या ड्रिंक्स रिसेप्शन के लिए आदर्श बनाती है.

10. लॉर्ड्स का फादर टाइम
लॉर्ड्स में एक हवा और मौसम को बताने वाला एक यंत्र है, जिसे फादर टाइम कहा जात है. लॉर्ड्स के प्रसिद्ध फादर टाइम वेदर वेन को 1926 में MCC को एक सरप्राइज गिफ्ट के रूप में दिया गया था. यह पौराणिक चरित्र समय की निगरानी करता है और बेल्स को हटाते हुए दिखता है. यह 6 फीट 6 इंच ऊंचा और काले रंग का होता है, जिसमें कुछ हिस्से पर सुनहरी पॉलिश की गई है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यह बैराज बलून की वजह से गिर पड़ा था और बाकी युद्ध के दौरान कमिटी रूम में रखा गया. 1992 में बिजली गिरने और 2015 में तूफान से भी यह क्षतिग्रस्त हुआ और कुछ समय लॉर्ड्स से बाहर रहा. हालांकि यह फिर लगाया गया और अब यह माउंड और टैवर्न स्टैंड के बीच लिफ्ट शाफ्ट के ऊपर स्थापित है और 21वीं सदी में भी लॉर्ड्स की निगरानी करता है.
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