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Ashes Test: एक-दूसरे की जर्सी पहनकर मैदान पर क्यों उतरे इंग्लैंड के खिलाड़ी, यहां जानें कारण

आखिरी एशेज टेस्ट के तीसरे दिन इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने एक दूसरे से अदला-बदली कर जर्सी पहली थी. उन्होंने डिमेंशिया पीड़ितों के सहयोग के लिए यह किया था. बोर्ड का सोचना था कि ऐसा कर लोगों को डिमेंशिया के प्रति जागरूक किया जा सकता है.

अंतिम एशेज टेस्ट के तीसरे दिन ओवल में एक अजीब नजारा देखने को मिला. इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने अपने साथी खिलाड़ियों की जर्सी पहनकर मैदान पर कदम रखा. अनुभवी तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने अपने गेंदबाजी साथी स्टुअर्ट ब्रॉड की जर्सी पहनी हुई थी. जबकि विकेटकीपर-बल्लेबाज जॉनी बेयरस्टो ने इंग्लिश कप्तान बेन स्टोक्स की टी-शर्ट पहनी हुई थी. इसी तरह, खिलाड़ियों ने अपने नाम की जर्सी की जगह अदल-बदलकर जर्सी पहनी थी. स्टेडियम में मौजूद प्रशंसकों से तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया.

अल्जाइमर सोसायटी का समर्थन

इंग्लैंड के खिलाड़ियों का यह कदम उस भ्रम का प्रतीक था जो अक्सर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों द्वारा अनुभव किया जाता है. इससे पीड़ित लोगों की याददाश्त कमजोर हो जाती है. इंग्लैंड के सहायक कोच मार्कस ट्रेस्कोथिक ने उन चर्चाओं के बारे में विस्तार से बात की जिसके कारण इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) और अल्जाइमर सोसायटी द्वारा संयुक्त रूप से यह निर्णय लिया गया. ट्रेस्कोथिक ने स्काई स्पोर्ट्स से बात करते हुए कहा, ‘हम यहां अल्जाइमर सोसायटी का समर्थन कर रहे हैं और यह हमारे दिल के बहुत करीब का विषय है. यह एक भयानक बीमारी है.’

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ऑस्ट्रेलियाई कोच के पिता हैं डिमेंशिया से पीड़ित 

उन्होंने कहा, ‘हम यहां जागरुकता बढ़ाने की कोशिश करने और लोगों को शिक्षित करके इसे सामने लाने के लिए हैं, और धन भी जुटा रहे हैं. जितना अधिक पैसा और जागरुकता इसमें जाएगी, उतना अधिक शोध होगा.’ ट्रेस्कोथिक ने कहा, ‘हमने देखा है कि नई दवाएं बाजार में आई हैं, वे बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं. उम्मीद है कि आज की पहल लोगों को यह समझने के लिए प्रेरित करती रहेगी.’ ट्रेस्कोथिक के पास इस नेक प्रयास से जुड़ने का एक व्यक्तिगत कारण भी था, क्योंकि उनके पिता मार्टिन डिमेंशिया से पीड़ित हैं.


अगला टेस्ट सीरीज दिसंबर में होगा

भारत में होने वाले 2023 एकदिवसीय विश्व कप की तैयारी फिर से शुरू करने के लिए टीमों द्वारा एक दिवसीय प्रारूप में स्विच करने से पहले पांचवें एशेज टेस्ट में रेड-बॉल एक्शन का अंतिम चरण देखा जा रहा है. क्रिकेट कैलेंडर में अगली टेस्ट सीरीज दिसंबर में होगी, जब पाकिस्तान ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेगा. जहां इंग्लैंड सितंबर में एकदिवसीय मैचों के लिए न्यूजीलैंड और आयरलैंड की मेजबानी करेगा, वहीं ऑस्ट्रेलिया अक्टूबर-नवंबर में विश्व कप से पहले पचास ओवर के मैचों के लिए दक्षिण अफ्रीका और भारत का दौरा करेगा.


ऑस्ट्रेलिया का सीरीज पर कब्जा

ऑस्ट्रेलिया एशेज श्रृंखला में 2-1 से आगे चल रहा है, मैनचेस्टर में लगातार बारिश के कारण चौथा टेस्ट ड्रा समाप्त होने के बाद पहले ही सीरीज पर कब्जा बरकरार रखा है. पैट कमिंस की अगुवाई वाली टीम 2001 के बाद से अंग्रेजी धरती पर ऑस्ट्रेलिया की पहली एशेज जीत का पीछा कर रही है. तीसरे टेस्ट में इंग्लैंड ने तीन विकेट के नुकसान पर 200 से अधिक रनों की बढ़त ले ली है. यह इंग्लैंड की दूसरी पारी है. इस पारी के बाद इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया के लिए लक्ष्य निर्धारित करेगा.

क्या होता है डिमेंशिया

डि​मेंशिया कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह काफी समस्याएं उत्पन्न कर सकती है. मस्तिष्क के किसी हिस्से को नुकसान पहुंचने के कारण इंसान अपनी रोजमर्रा की बातें भूलने लगता है. मतलब इससे शिकार मरीज का दिमाग कमजोर होता जाता है. वह किसी काम को बार-बार करता है. जो काम कर चुका होता है उसे भूल जाता है. डिमेंशिया को अक्सर लोग पागलपन समझ लेते हैं. लेकिन यह पागलपन नहीं है. इसके बारे में जागरुकता की काफी कमी है. कई संस्थाएं इसपर जागरुकता फैलाले का काम कर रही हैं. यह बीमारी आम तौर पर 65 साल से ऊपर के 10 में से एक शख्स को हो सकती है. 85 साल की उम्र में यह बीमारी चार में से एक को हो सकती है.

डिमेंशिया के लक्षण

ज्यादातर लोग समझते हैं कि डिमेंशिया छोटी-छोटी बातों को भूल जाने की समस्या का नाम है. लेकिन चीजों को भूलना या याददाश्त कमजोर हो जाना ही इसका एकमात्र लक्षण नहीं है. इसमें इंसान किसी बात को बार-बार दोहराने लगता है. बात को समझने में समस्या आती है. अजीब बातें करने लगता और सामाजिक तौर तरीके भूलने लगता है. बिना कारण ही बौखलाने लगता है. लोगों के नाम या अपने द्वारा किया हुआ काम भूलने लगता है. बता दें कि इस समस्या के काफी बढ़ जाने के बाद मरीज पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हो जाता है.

AmleshNandan Sinha
AmleshNandan Sinha
अमलेश नंदन सिन्हा प्रभात खबर डिजिटल में वरिष्ठ खेल पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता में 15 से अधिक वर्षों का अनुभव है. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद से इन्होंने कई समाचार पत्रों के साथ काम किया. इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत रांची एक्सप्रेस से की, जो अपने समय में झारखंड के विश्वसनीय अखबारों में से एक था. एक दशक से ज्यादा समय से ये डिजिटल के लिए काम कर रहे हैं. खेल की खबरों के अलावा, समसामयिक विषयों के बारे में भी लिखने में रुचि रखते हैं. विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के बारे में देखना, पढ़ना और नई जानकारियां प्राप्त करना इन्हें पसंद है.

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