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गौतम गंभीर बनें टीम इंडिया के नये ‘दादा’, उनके सामने रोहित-कोहली की भी नहीं चली

Rohit-Kohli Retires: विराट कोहली और रोहित शर्मा के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद अब भारतीय टीम में नये चेहरे देखने को मिलेंगे. इन दो रिटायरमेंट में गौतम गंभीर की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता. पासा अब गंभीर के हाथ में है और वह वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के नये चक्र में अपने पसंदी के खिलाड़ियों को आराम से आजमा सकते हैं.

Rohit-Kohli Retires: टीम इंडिया का मुख्य कोच रहते हुए पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ग्रेग चैपल ने जब अपनी ताकत दिखानी चाही तो उन्हें पद छोड़ना पड़ा, अनिल कुंबले टीम के ‘सुपरस्टार कल्चर’ से परेशान होकर गए, लेकिन लगता है कि गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) भारतीय क्रिकेट के वह बिरले मुख्य कोच हैं जिनके पास कप्तान से ज्यादा ताकत है. भारतीय क्रिकेट में ऐसे असंख्य उदाहरण हैं जब खिलाड़ियों की ताकत के सामने मजबूत कोचों को पीछे हटना पड़ा. बिशन सिंह बेदी, चैपल और कुंबले खुद चैंपियन खिलाड़ी रहे हैं लेकिन उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें कप्तान के सहायक की भूमिका निभानी पड़ेगी. first time in Indian cricket power of a coach Gautam Gambhir ready to use his pawns

अब टेस्ट में दिखेंगे नये चेहरे

जॉन राइट, गैरी कर्स्टन और रवि शास्त्री को यह पता था और वे काफी सफल रहे. विराट कोहली, रविचंद्रन अश्विन और रोहित शर्मा के संन्यास के बाद टेस्ट टीम में अब बड़े सितारे नहीं बचे हैं जिससे गंभीर को क्रिकेट की बिसात पर अपने मोहरे खुलकर चलने का मौका मिलेगा. बीसीसीआई के सूत्रों की मानें तो गंभीर पहले से तय करके आये थे कि टीम में ‘स्टार कल्चर’ खत्म करना है. सूत्र ने कहा, ‘गौतम गंभीर युग की शुरूआत अब हुई है. उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के नये चक्र में भारत को नये चेहरे चाहिए.’

गंभीर को नये खिलाड़ियों से बहुत उम्मीदें

सूत्र ने कहा, ‘टीम प्रबंधन में सभी को पता था कि टेस्ट प्रारूप में सीनियर खिलाड़ियों के भविष्य को लेकर गंभीर क्या सोचते हैं. मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर भी उनसे इत्तेफाक रखते थे.’ भारतीय क्रिकेट में कप्तान हमेशा से सबसे मजबूत शख्स रहा है. सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी, कोहली और रोहित सभी की टीम चयन में निर्णायक भूमिका रही है. लेकिन गंभीर के दौर में ऐसा नहीं है. राहुल द्रविड़ और रोहित शर्मा की जोड़ी संक्षिप्त लेकिन प्रभावी रही. वहीं रोहित और गंभीर की जोड़ी कभी सहज नहीं दिखी. पहली बार मेगा सितारों की रवानगी में कोच की अहम भूमिका रही लेकिन फिर यह ताकत दुधारी तलवार भी है.

रोहित-विराट की नजरें 2027 वनडे वर्ल्ड कप पर

समझा जाता है कि भारतीय क्रिकेट के बदलाव के इस दौर में गंभीर चाहते थे कि बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी और न्यूजीलैंड सीरीज जैसी विफलता के दोहराव से बचने के लिये उन्हें पूरी ताकत दी जाये. शुभमन गिल के रूप में उनके पास युवा कप्तान है जो उनकी सुनेगा. गिल स्टार हैं लेकिन उनका वह दर्जा नहीं है कि गंभीर के फैसलों और रणनीतियों पर सवाल उठा सके. एक ही खिलाड़ी उस कद का है और वह है जसप्रीत बुमराह लेकिन फिटनेस के खराब रिकॉर्ड के कारण उनका कप्तान बनना संभव नहीं. ऐसे में गंभीर के पास पूरी ताकत होगी लेकिन वनडे में उन्हें संभलकर काम करना होगा जिसमें रोहित और विराट की नजरें 2027 विश्व कप खेलने पर लगी होंगी.

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AmleshNandan Sinha
AmleshNandan Sinha
अमलेश नंदन सिन्हा प्रभात खबर डिजिटल में वरिष्ठ खेल पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता में 15 से अधिक वर्षों का अनुभव है. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद से इन्होंने कई समाचार पत्रों के साथ काम किया. इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत रांची एक्सप्रेस से की, जो अपने समय में झारखंड के विश्वसनीय अखबारों में से एक था. एक दशक से ज्यादा समय से ये डिजिटल के लिए काम कर रहे हैं. खेल की खबरों के अलावा, समसामयिक विषयों के बारे में भी लिखने में रुचि रखते हैं. विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के बारे में देखना, पढ़ना और नई जानकारियां प्राप्त करना इन्हें पसंद है.

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