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IND vs ENG: बिना विशेषज्ञ फास्ट बॉलर के उतरा भारत, अकेले स्पिनर्स ने अंग्रेजों की खाट खड़ी कर दी

IND vs ENG, When India Played without any Specialist Fast Bowler: लॉर्ड्स टेस्ट में भारत तेज गेंदबाजों के सामने टिक नहीं सका और 193 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 170 पर ऑलआउट हो गया. इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों ने नई गेंद से स्विंग कर भारत की बल्लेबाजी को ध्वस्त कर दिया. हालांकि एक ऐसा भी टेस्ट रहा है जब भारत ने बिना किसी विशेषज्ञ तेज गेंदबाज के मैच खेला और इंग्लैंड को हराकर सीरीज में बढ़त हासिल की थी.

IND vs ENG, When India Played without any Specialist Fast Bowler: इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट लॉर्ड्स टेस्ट मैच में टीम इंडिया आखिरी दिनों में तेज गेंदबाजी के आगे कमजोर साबित हुई. नई गेंद से हवा में लहराती हुई गेंदों ने कहर बरपाया और भारत 193 रन के स्कोर को चेज नहीं कर सका और 170 रन पर ही ऑलआउट हो गया. इसमें इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों का काफी योगदान रहा. फास्ट बॉलर न केवल गेंद से मुश्किलें ही नहीं पैदा करते वे मानसिक रूप से भी दबाव बनाते हैं. हालांकि एक ऐसा मैच भी रहा है, जब भारत ने बिना किसी तेज गेंदबाज के मैच खेला और इंग्लैंड को हराकर सीरीज में बढ़त ली. 

यह मुकाबला हुआ इंग्लैंड के 1972-73 के भारत दौरे पर. पांच मैचों की सीरीज के तीसरे मुकाबले की शुरुआत 12 जनवरी 1973 को चेन्नई (तब मद्रास) के चेपक स्टेडियम में हुई. भारतीय टीम ने अपनी बल्लेबाजी को मजबूत करने के लिए नवाब पटौदी को आबिद अली की जगह टीम में शामिल किया, जबकि चेतन चौहान को रामनाथ पार्कर के स्थान पर शामिल किया गया. अजीत वाडेकर की कप्तानी वाली इस टीम में भारत की ओर से कोई भी तेज गेंदबाज नहीं था. इंडियन टीम में एकनाथ सोलकर, बिशन बेदी, भगवत चंद्रशेखर, एरापल्ली प्रसन्ना, मंसूर अली खान पटौदी, सलीम दुर्रानी ने गेंदबाजी की. इसमें से सोलकर, पटौदी और दुर्रानी मीडियम पेसर थे, लेकिन वाडेकर ने उनका बेहद कम इस्तेमाल किया. 

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बिशन सिंह बेदी. इमेज- एक्स

मैच का पूरा हाल ऐसा रहा

इस सीरीज में पहली बार इंग्लैंड के कप्तान लुईस ने टॉस जीता, लेकिन इंग्लैंड की टीम पहली पारी में सात विकेट पर 110 रन ही बना सकी और उनकी बढ़त वहीं खत्म हो गई. मीडियम पेसर सोलकर ने केवल दो ओवर किए और वो भी शुरुआत में जबकि चंद्रशेखर और बेदी ने बल्लेबाजों को परेशान किया. दोनों ने मिलकर 68.5 ओवर किए, जबकि प्रसन्ना ने 15 ओवर गेंदबाजी. बेदी ने 30 ओवर में 66 रन देकर 2 विकेट लिए तो वहीं प्रसन्ना के हिस्से में भी 2 विकेट आए. लेकिन असली खेल तो चंद्रशेखर ने किया, उन्होंने 38.5 ओवर में केवल 90 रन देकर 6 विकेट चटकाए. इस मैच में एक बोनस ओवर सुनील गावस्कर ने भी डाला.  

इंग्लैंड के लिए कीथ फ्लेचर ने आत्मविश्वास के साथ बल्लेबाजी की और अर्नोल्ड व गिफॉर्ड के साथ मिलकर 124 रन की साझेदारी की. उन्होंने स्पिनरों के खिलाफ चार छक्के जड़कर शानदार अंदाज में बल्लेबाजी की. हालांकि वे शतक से चूक गए और 97 रन पर उन्हें नाबाद लौटना पड़ा, क्योंकि चंद्रशेखर ने आखिरी विकेट के रूप में पोकोक को आउट कर दिया. इंग्लैंड ने पहली पारी में 86.5 ओवर में 242 रन बनाए. 

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इरापल्ली प्रसन्ना. इमेज-एक्स

भारत की पहली पारी

अपनी पहली पारी में भारत की शुरुआत 89 रन पर तीन विकेट गिरने के साथ कुछ लड़खड़ाती हुई रही, लेकिन पटौदी ने दर्शकों के बीच जबरदस्त स्वागत के साथ आते ही आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी की और अपनी अर्धशतक पूरा किया. कप्तान वाडेकर ने 44 रन बनाए. दुर्रानी (38) ने जांघ की चोट के बावजूद बहादुरी से बल्लेबाजी की और किस्मत से उन्हें तीन बार जीवनदान भी मिला. दूसरे दिन भारत ने चार विकेट पर 175 रन बना लिए थे.

अगली सुबह पटौदी (73) और विश्वनाथ (37) ने दूसरी नई गेंद को संभालते हुए आक्रामक अंदाज में रन जोड़े. हालांकि पोकोक ने दोनों को छह गेंदों में आउट कर इंग्लैंड को वापसी का मौका दिया. पटौदी को लॉन्ग ऑन पर टोल्चर्ड ने पकड़ा जबकि विश्वनाथ लेग ट्रैप में फंसे. अंत में इंजीनियर, सोलकर और प्रसन्ना ने उपयोगी रन जोड़े और भारत की पारी 316 रन पर समाप्त की. भारत को 74 रन की लीड मिली. 

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भगवत चंद्रशेखर. इमेज- एक्स

इंग्लैंड की दूसरी पारी

लेकिन असली खेल तो भारत के स्पिनर्स ने दूसरी पारी में किया. इंग्लैंड की दूसरी पारी में चंद्रशेखर ने अमीस को आउट कर टेस्ट में अपने 100 विकेट पूरे किए. बेदी ने वुड और नॉट को आउट किया. डेनिस ने आकर्षक ड्राइव खेलते हुए संघर्ष किया, लेकिन जब ओल्ड और गिफॉर्ड के साथ पारी खिंचती दिख रही थी, तभी प्रसन्ना ने निचले क्रम को समेट दिया. चोट के कारण आराम कर रहे प्रसन्ना को देर से गेंदबाजी दी गई, लेकिन उन्होंने 41 गेंदों में 6 रन देकर 4 विकेट चटकाए. उनके अलावा बेदी ने 43 ओवर में 38 रन देकर 4 विकेट लिए, जबकि 1-1 विकेट दुर्रानी और चंद्रशेखर के खाते में आया. इंग्लैंड ने 106 ओवर बल्लेबाजी की, जबकि रन बनाए केवल 156.

भारत को जीत के लिए सिर्फ 86 रन चाहिए थे, लेकिन शुरुआत में इंजीनियर और चौहान 11 रन पर ही आउट हो गए. वाडेकर का कैच विवादित रहा, जिसे बाद में अंपायर ने सहयोगी से परामर्श कर आउट करार दिया. भारत ने तीसरे दिन स्टंप्स तक दो विकेट पर 32 रन बना लिए थे. अगले दिन दोपहर भोजन से आधे घंटे पहले गिफॉर्ड की नो-बॉल पर रन पूरा कर भारत ने यह मुकाबला जीत लिया. दुर्वनी के दो छक्कों और पटौदी की संयमित बल्लेबाजी ने भारत को जीत दिला दी. हालांकि भारत ने इन 86 रनों को बनाने में अपने 6 विकेट जरूर गंवा दिए थे.

भारत की जीत के बाद पहले के सभी मैचों की तरह खिलाड़ी दौड़ते हुए मैदान से बाहर भागे. मुकाबले के वीडियो को आप यहां देख सकते हैं.

इस तरह भारत ने बिना किसी विशेषज्ञ तेज गेंदबाज को खिलाए ही मुकाबले को जीत गया. इस सीरीज का पहला मैच हारने के बाद भारत ने दूसरा और तीसरा (चेन्नई वाला) मुकाबला जीता, जबकि चौथा और पांचवां मैच ड्रॉ रहा. इस तरह भारत ने इंग्लैड के खिलाफ सीरीज 2-1 से जीती. 

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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