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कितना भारी होता है भाला, Neeraj Chopra ने खोले सारे राज

Neeraj Chopra: पेरिस ओलंपिक 2024 की उलटी गिनती जारी है. ओलंपिक को लेकर पेरिस में सारी तैयारी हो गई है. वहीं टूर्नामेंट को ध्यान में रखते हुए सभी खिलाड़ी भी धीरे-धीरे पेरिस पहुंचने लगे हैं. वहीं नीरज ने सभी को बताया कि उनका भला कितना भारी है और वह किस टेक्निक की मदद से उसे दूरी दे पाते हैं. तो चलिए जानते हैं इसके बारे में.

Neeraj Chopra: पेरिस ओलंपिक 2024 की उलटी गिनती जारी है. ओलंपिक को लेकर पेरिस में सारी तैयारी हो गई है. वहीं टूर्नामेंट को ध्यान में रखते हुए सभी खिलाड़ी भी धीरे-धीरे पेरिस पहुंचने लगे हैं. वहीं सभी की नजर मुख्य तौर पर भारत के स्टार भला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के ऊपर है. नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में एथलेटिक्स में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास रचा था. नीरज की तैयारियों को देखते हुए उनसे पेरिस में भी एक दमदार थ्रो की उम्मीद की जा रही है. सभी कयास लगा रहे हैं कि नीरज चोपड़ा इस बार भी भारत को भला फेंक खेल में स्वर्ण पदक दिलाएंगे. वहीं नीरज ने सभी को बताया कि उनका भला कितना भारी है और वह किस टेक्निक की मदद से उसे दूरी दे पाते हैं. तो चलिए जानते हैं इसके बारे में.

Neeraj Chopra: तकनीक का है सब खेल

नीरज चोपड़ा ने सभी को बताया कि जैवलिन थ्रो के लिए इंसान को सबसे पहले तो पूरी तरह से फिट रहना बहुत जरूरी है. इसके अलावा जैवलिन को थ्रो करने के लिए तकनीक की भी जरूरत है. पेरिस ओलंपिक में भाग लेने से पहले नीरज ने सभी को जैवलिन थ्रो की बारीकियों के बारे में बताया.

Neeraj Chopra: 800 ग्राम का होता है जैवलिन

आपकी जानकारी के लिए बता दें, जिस भला का प्रयोग भारत के स्टार भला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा करते हैं उसका वजन 800 ग्राम है. हवा में 80-90 मीटर तक तैरने वाले इस भाले को फेंकने का तरीका भी काफी टेक्निकल है. इस भाले को तीन तरह की ग्रिप से पकड़ा जा सकता है. नीरज चोपड़ा भाला को जिस ग्रिप से पकड़ते हैं, वह ‘फिनिश ग्रिप’ कही जाती है. भाला को दो और तरह की ग्रिप के साथ पकड़ा जा सकता है- ‘वी ग्रिप’ जिसको काफी कम भाला फेंक खिलाड़ी इस्तेमाल करते हैं और दूसरी ‘अमेरिकन ग्रिप’ जो भाला फेंक के शुरुआती खिलाड़ियों में काफी प्रचलित है. यह सबसे आसान ग्रिप मानी जाती है.

Neeraj Chopra: पैरों का रहता है अहम रोल

भला फेंक खेल में पैरों का काफी अहम रोक रहता है. भाला फेंकने में शरीर की बायोमैकेनिक्स पर काफी ध्यान दिया जाता है. भाला भले ही हाथ से पकड़कर फेंका जाता है, लेकिन यह कितनी दूर जाएगा, इसमें असली खेल पैरों की ताकत का होता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें, भला फेंक खेल में केवल 40% ताकत शरीर के ऊपर के भाग का लगता है. जबकि 60 प्रतिशत पावर लोअर बॉडी, यानी पैरों से हासिल की जाती है. पैरों में गति और स्थिरता, यह दो ऐसे फैक्टर हैं, जिनके बिना भाले को इतनी दूर नहीं भेजा जा सकता.

Neeraj Chopra: इस तरह करता है शरीर काम

नीरज चोपड़ा ने जियो सिनेमा पर भारत के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक से बातचीत के दौरान बताया कि भला फेंक खेल में, भला को फेंकने के दौरान जब खिलाड़ी रफ्तार के बाद स्थिर होता है तो फ्रंट फुट से पावर जेनरेट होती है. फ्रंट फुट के स्थिर होने के बाद जब खिलाड़ी भाला फेंकना शुरू करता है, तब शरीर ऊपरी हिस्सा रोटेट होकर एक्शन में आता है. भाला फेंकने के दौरान खिलाड़ी के लिए मोमेंटम को नहीं रोकना बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दौरान खिलाड़ी के लिए लाइन से पहले रुकने की चुनौती भी होती है. नीरज चोपड़ा के अनुसार इसी एक सेकंड के दौरान चोट लगने की सबसे ज्यादा संभावना होती है.

Vaibhaw Vikram
Vaibhaw Vikram
वैभव विक्रम डिजिटल पत्रकार हैं. खेल, लाइफस्टाइल, एजुकेशन, धर्म में रुचि है और इसी विषय पर अपने विचार प्रकट करना पसंद है. क्रिकेट से बहुत लगाव है. वर्तमान में प्रभात खबर के खेल डेस्क पर कंटेंट राइटर पद पर कार्यरत हैं.

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