बेगूसराय. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऋषिकांत की अदालत ने हत्या से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए चार अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. यह फैसला सिंघौल थाना क्षेत्र के कैलाशपुर निवासी चंद्रदेव यादव, उसकी पत्नी बबीता देवी और बेटों अंकेश कुमार एवं रुपेश कुमार के विरुद्ध सुनाया गया. सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद चारों को भारतीय दंड विधान की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा दी गयी. सभी को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है. लोक अभियोजक संतोष कुमार ने अभियोजन पक्ष की ओर से कुल नौ गवाहों की गवाही करायी. घटना 19 अगस्त, 2023 की शाम 7:30 बजे की है जब रविंद्र यादव के चचेरे भाई संजीव यादव ने अपना पिकअप वैन चंद्रदेव यादव के घर के सामने खड़ा कर दिया. इस पर विवाद हुआ और चंद्रदेव यादव ने गाड़ी हटाने को कहा. संजीव के इनकार पर चंद्रदेव ने बेटे को गोली मारने का आदेश दिया. बबीता देवी ने छत से पिस्टल लाकर अपने बेटों को दी. रुपेश ने संजीव यादव को गोली मार दी. बीच-बचाव करने आये बैजू यादव और विकास यादव को भी गोली मार दी गयी. घटनास्थल पर ही विकास की मौत हो गयी. अदालत ने इस निर्मम हत्या को गंभीर मानते हुए चारों को दोषी घोषित कर सजा सुनायी है.
अपहरण में आरोपित को छह साल की सजा
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नवीन कुमार श्रीवास्तव ने अपहरण मामले में आरोपित परवेज आलम को दोषी ठहराया है. सुनवाई के बाद न्यायालय ने परवेज आलम को छह साल सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. न्यायालय ने दोषी ठहराने के साथ ही आरोपित का बंधन पत्र खंडित कर उसे न्यायिक हिरासत में लेकर बेगूसराय जेल भेज दिया. अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक विभूति चंद्र झा ने कुल नौ गवाहों की गवाही दर्ज करायी. मामले में आरोप है कि 28 जून, 2007 को गांव में आयोजित शादी में शामिल होने आयी 14 वर्षीया किशोरी को परवेज आलम ने बहला-फुसला कर अपहरण कर लिया था. किशोरी रात्रि एक बजे तक घर वापस नहीं लौट सकी, तब उसके पिता ने उसकी तलाश शुरू की. जांच के दौरान पता चला कि आरोपित ने किशोरी को जबरन कहीं ले जाकर रखा था. न्यायालय की यह कार्रवाई न्याय व्यवस्था की सक्रियता और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के प्रति कड़ाई को दर्शाती है.
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