बीहट. सावन माह की तीसरी सोमवारी को सिमरिया गंगा घाट पर कांवरियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. मिनी देवघर के रूप में प्रसिद्ध गढपुरा के हरिगिरिधाम स्थित मंदिर में जलाभिषेक करने के लिये सिमरिया गंगा घाट पर रविवार को हजारों की संख्या में कांवरियों ने जल भरा. इनमें बड़ी संख्या में डाक बमों के अलावा महिलायें व बच्चे भी शामिल थे.रविवार की दोपहर बाद शिवभक्तों के रवाना होने का सिलसिला देर शाम तक लगातार जारी रहा.पैदल यात्रा करने वाले बमों के अलावा साइकिल और मोटर साइकिल सवार बमों की अच्छी-खासी संख्या सिमरिया से गंगा जल लेकर गंतव्य की ओर रवाना हुए. इस दौरान श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था.सिमरिया धाम केसरियामय हो गया और लोग श्रद्धा व भक्ति में सराबोर होकर बोलबम के जयकारे के साथ जल लेकर हरिगिरि धाम के लिये प्रस्थान किया.
एफसीआइ केबिन से रतन चौक तक वाहनों की लंबी लाइन
एफसीआइ रेलवे केबिन के समीप ट्रैफिक के लिए वन वे व्यवस्था रहने के कारण वाहन जाम में फंस गये. छोटी-बड़ी सभी प्रकार के वाहन काफी देर तक जाम की वजह से रेंगते रहे. जाम के कारण केबिन से लेकर बीहट रतन चौक तक वाहनों की लंबी लाइन लगी रही.इस दौरान पैदल चल रहे श्रद्धालुओं के हुजूम की सुरक्षा भगवान भरोसे दिखी. इधर, स्वयंसेवी संगठन के साथ ग्रामीण पूरी उत्साह व श्रद्धा के साथ कांवरियों की सेवा में लगे रहे. सेवा भाव से जुड़े लोगों द्वारा थर्मल, चकिया, मल्हीपुर, बीहट, जीरोमाइल सहित अन्य जगहों पर फल, शर्बत, नीबू-पानी, चाय की व्यवस्था की गयी थी. कही-कहीं श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिये जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था.
हरिगिरि धाम मंदिर कांवरियों की मनोकामना पूर्ण होने का केंद्र बिंदु बना
मिथिलांचल की पावन शिव नगरी बाबा हरिगिरि धाम गढ़पुरा में श्रावणी मेला पर कांवर यात्रा से सुखद अनुभूति होती है. शांति और एकता का पर्याय बनी हरिगिरि धाम की कांवड़ यात्रा श्रद्धालुओं की आस्था और मनोकामना पूर्ण होने का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है. सिमरिया घाट से मिथिलांचल की पावन शिव नगरी बाबा हरिगिरि धाम की कांवड़ यात्रा एक धार्मिक यात्रा ही नहीं वरन शिव और प्रकृति के साहचर्य की यात्रा है.रास्ते में बोल बम का नारा लगाते कांवरिया भक्तगण मानो भगवान शंकर के साथ एकाकार हो जाते हैं.भगवान शंकर जो देवों के देव महादेव कहलाते हैं उनके बारे में धार्मिक मान्यता है कि श्रावण मास में जब समस्त देवी देवता विश्राम पर चले जाते हैं ऐसे समय में भगवान भूतनाथ माता पार्वती के साथ भू-लोक पर विराजमान रहकर अपने भक्तों को कष्ट हरते हैं और उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.शिवलिंग पर जल अर्पण भक्तों को शांति का संदेश देता है. गढ़पुरा निवासी ज्योतिषविद पंडित दिनेश झा इंदु बताते हैं कि प्राचीन काल में इस मंदिर की स्थापना सिद्धि प्राप्त संत महात्माओं ने की थी. यह मनोकामना शिवलिंग है.बाबा दरबार में आया श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटता है.सच्चे मन से मांगी गयी हर मुरादें पूरी होती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है