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begusarai news : खोदावंदपुर के 29 राजकीय नलकूपों में 27 ठप

begusarai news : विभाग की लापरवाही से महंगे दर पर करना पड़ रहा है पटवन, टेंशन में किसान

खोदावंदपुर. सरकार किसानों को खेती के लिए हर सुविधा देने की घोषणा कर रही है. कृषि कार्य के लिए सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त करने के उद्देश्य से खोदावन्दपुर नलकूप प्रशाखा के अधीन कुल 29 नलकूप लगे हुए हैं. परंतु विभिन्न कारणों से इनमें से 27 नलकूप ठप पड़े हैं. दो राजकीय नलकूप ही चालू हालत में है, जिनके जरिए सिंचाई कार्य की खानापूर्ति की जा रही है. प्राप्त जानकारी के अनुसार मेघौल पंचायत में तीन, खोदावन्दपुर पंचायत में तीन, फफौत पंचायत में तीन, बरियारपुर पूर्वी पंचायत में चार, बरियारपुर पश्चिमी पंचायत में एक, बाड़ा पंचायत में चार, दौलतपुर पंचायत में दो और सागी पंचायत में दो नलकूप स्थित है. इनमें से कुछ नये और कुछ पुराने शामिल हैं. लधु सिंचाई नलकूप प्रमंडल बेगूसराय के कार्यपालक अभियंता इंजी० जगदीश चन्द्र ने 3 मई 2006 को प्रखंड मुख्यालय स्थित कार्यालय का उदघाटन किया था, जो अक्सर बंद ही रहता है. आमजनों को अधिकारियों से दर्शन करना भी दुर्लभ है. कार्यपालक अभियंता ने 1973 ईस्वी में ही पुराने नलकूपों को लगवाकर चालू करवाया था. इन नलकूपों की देखरेख और संचालन के लिए विभाग ने ऑपरेटर की बहाली भी की थी. इन नलकूपों के जरिए किसानों को सस्ते दर पर सिंचाई कार्य के लिए पानी उपलब्ध करवाया जाता था, परंतु विभागीय पदाधिकारियों की उदासीनता के कारण धीरे-धीरे इन नलकूपों की स्थिति खराब हो गयी. कहीं मोटर जल गयें तो कहीं नाला टूट गया. कहीं विधुत तार जर्जर होकर गिर गयी तो कहीं चोरों ने इन तारों को काट लिया. कहीं मशीन में तकनीकी गड़बड़ी आ गयी. नलकूपों चालक के द्वारा इसकी सूचना विभाग को दी गयी, परंतु विभाग ने इस ओर ध्यान देना भी मुनासिब नहीं समझें. यही कारण है कि धीरे-धीरे इन नलकूपों का संचालन ठप हो गया. बाद में किसानों की मांग पर कुछ नये नलकूप वर्ष 2011 में लगवाये गये, जिसमें कई नलकूप असफल सिद्ध हुए. इस अवधि में अधिकांश ऑपरेटर सेवानिवृत्त हो गये, जिसके कारण शेष बचे नलकूप चालकों को कई अन्य नलकूपों का प्रभार सौंपा गया. सरकार द्वारा नलकूप चालकों की बहाली प्रकिया नहीं किये जाने से नलकूपों की स्थिति दयनीय हो गयी. किसानों को अब सौ रुपये प्रति कट्ठा की दर से सिंचाई करनी पड़ रही है. क्षेत्र के कई किसानों ने बताया कि राजकीय नलकूपों के बंद हो जाने से उनलोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. महंगे बीज, महंगी खाद और महंगी जुताई का दंश झेल रहे किसानों को महंगी सिंचाई व्यवस्था ने कमर तोड़ दिया है. किसानों का कहना है कि किसी कार्य में बचत तो दूर की बात है. लागत मूल्य भी वापस नहीं मिलता है. सरकार द्वारा समर्थित खाद्यान्न क्रय केंद्र सुचारू रूप से नहीं चलाने के कारण किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. क्षेत्र के गरीब किसानों ने बताया है कि बच्चे की पढ़ाई, बेटी की शादी, वृद्धजनों का इलाज और पारिवारिक खर्च के लिए मजबूरी में खेती कर रहे हैं. इनलोगों का कहना है कि यदि क्षेत्र के सभी राजकीय नलकूपों को सुचारू रूप से चलाने की व्यवस्था की जायेगी तो किसानों को काफी राहत मिलेगी.

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