बेगूसराय. वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम पर दर्ज मुकदमे को लेकर नागरिक समाज में जबरदस्त नाराजगी है. नागरिक संवाद समिति के डॉ भगवान प्रसाद सिन्हा ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है. उन्होंने कहा कि बिहार में चल रही एसआइआर प्रक्रिया ने न सिर्फ चुनावी प्रक्रिया को अव्यवस्थित कर दिया है, बल्कि प्रशासनिक आतंक के नये रास्ते खोल दिये हैं. उन्होंने कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के नाम पर बीएलओ कर्मियों पर अमानवीय दबाव बनाया जा रहा है. एक बीएलओ की मौत और बारसोई में बीडीओ का इस्तीफा इसी दमन का नतीजा है. अब मीडिया की आवाज उठाने वाले पत्रकारों को भी निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बेगूसराय में बीएलओ द्वारा सामने लायी गयी समस्याओं की खबर दिखाने पर अजीत अंजुम पर मुकदमा दर्ज किया गया जो लोकतंत्र में अस्वीकार्य है. नागरिक संवाद समिति के संयोजक प्रो. लाल बहादुर सिंह ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची अपडेट के दौरान भारी गड़बड़ी हो रही है. आयोग कह रहा है कि हर मतदाता को दो फॉर्म दिये जायेंगे, लेकिन जमीनी हकीकत में बीएलओ के पास एक ही फॉर्म है. मतदाताओं को रिसीविंग नहीं मिल रही और बिना जानकारी के फॉर्म भरने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं. कहा कि बीएलओ और पत्रकारों पर कार्रवाई कर आयोग लोकतंत्र का गला घोंट रहा है. समिति ने अजीत अंजुम के खिलाफ मुकदमा वापस लेने और एसआइआर की पूरी प्रक्रिया की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. साथ ही चुनाव आयोग और सरकार को चेतावनी दी है कि अगर दमन बंद नहीं किया गया तो नागरिक समाज सड़कों पर उतरेगा.
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