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बिहार का अजब गांव ! जहां नहीं है कोई जवान मर्द, पढ़िए क्यों…

बिहार का अजब गांव ! बिहार का एक गांव ऐसा है जहां जवान मर्द तो ढूंढ़ने पर कभी-कभार ही दर्शन देते हैं. कमाने वाले अधिकतर पुरुष पलायन कर चुके हैं. क्योंकि रोटी पाने के लिए इसके अलावा और कोई उपाय नहीं है.

बिहार का अजब गांव ! बलुआहा है तो बिहार के आम गांव जैसा ही. पर बेगूसराय की इस बस्ती में घुसते ही चौंकाने वाली सच्चाई से सामना होता है. यहां की गलियों में घूमने पर केवल बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं का ही दीदार हो पाता है. जवान मर्द तो ढूंढ़ने पर कभी-कभार ही दर्शन देते हैं. कमाने वाले अधिकतर पुरुष पलायन कर चुके हैं. क्योंकि रोटी पाने के लिए इसके अलावा और कोई उपाय नहीं है.

 दलित एवं अत्यंत पिछड़ी जाति बाहुल्य इस गांव के 90 प्रतिशत पुरुष रोजी-रोटी के लिए प्रदेश में रहते हैं. इस गांव के मात्र 10 प्रतिशत पुरुष ही गांव में रहकर मजदूरी करते हैं और किसी तरह अपने बच्चों का भरण-पोषण करते हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार बलुआहा गांव में मात्र तीन परिवारों के पास ही थोड़ी बहुत अपनी जमीन है, जिसपर खेतीबाड़ी कर अपना गुजारा करते हैं. यहां दलीय (दास) समुदाय के परिवारों के पास बसने लायक भी जमीन नहीं है. 

महिलाएं भी गांव में कर रही हैं मजदूरी

इस वार्ड के पूर्व वार्ड सदस्य अशोक कुमार ने बताया कि बलुआहा गांव में पुरुष और महिलाओं की कुल संख्या 746 है. इस गांव की 95 प्रतिशत महिलाएं गांव में रहकर दूसरों के यहां मजदूरी करती हैं. पूर्व वार्ड सदस्य ने बताया कि इस गांव में सड़क की स्थिति भी खराब है. गांव में सहदेव दास के घर से झलकू दास के घर के समीप तक जाने वाली सड़क का वर्षों पूर्व पीसीसीकरण किया गया था, जो अब काफी जर्जर हो चुका है. सड़क जर्जर रहने से लोगों के आवागमन में काफी परेशानी हो रही है.

वहीं वार्ड 3 की वार्ड सदस्या अनिता देवी एवं पंच सोनी देवी ने बताया कि इस गांव के पुरुषों की मुख्य जीविका का साधन दूसरे प्रदेशों में जाकर रिक्शा, ठेला चलाना एवं राजमिस्त्री का काम करना है. वार्ड सदस्या ने बताया कि इस गांव में अधिकतर दास व नोनिया जाति के लोग रहते हैं. इसके अलावे एक घर मुसलमान भाई का है. इस गांव में रोजगार के कोई साधन नहीं है, जिसके चलते पुरुष रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं. गांव में रहने वाली महिलाओं और बच्चों का कहना है कि अगर इलाके या बिहार में ही रोजगार के साघन उपलब्ध होते तो परिवार में कमाने वाले पुरुष आज दूसरे प्रदेशों में अपने बाल-बच्चों को छोड़कर नहीं जाते.

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RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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