Bihar News: बिहार में शहरीकरण को नई दिशा देने के लिए राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. ‘बिहार शहरी आयोजना स्कीम नियामावली 2025’ को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत अब बिना ज़मीन अधिग्रहण के ग्रीनफील्ड और सैटेलाइट टाउनशिप बसेंगी.
दिल्ली-नोएडा जैसी आधुनिक टाउनशिप अब बिहार के 11 प्रमुख शहरों में बसाई जाएंगी—और यह सब मुमकिन होगा लैंड पुलिंग मॉडल के जरिए, जिसमें जमीन मालिकों को मुआवज़ा नहीं, बल्कि विकास में सीधा हिस्सा मिलेगा
लैंड पुलिंग मॉडल पर आधारित होगी योजना
इस योजना के तहत भूमि मालिक अपनी जमीन सरकार को नहीं बेचेंगे, बल्कि योजना में योगदान के रूप में देंगे, बदले में उन्हें उसी क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं से युक्त विकसित भूखंड मिलेगा. इस मॉडल में किसी तरह की जबरन अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी. योजना का सारा व्यय पात्र निजी डेवलपर वहन करेंगे. सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा.
मंत्री ने बताया कि यह नीति भूमि मालिकों को क्षतिपूर्ति के बजाय अवसर देती हैं. न्यूनतम 100 हेक्टेयर क्षेत्र में विशेष थीम वाले टाउनशिप बसाने की योजना है. कुछ मामलों में यह सीमा 10 हेक्टेयर तक भी लाई जा सकती है. टाउनशिप में आवसीय, वानिज्यिक, औद्योगिक उपयोग के लिए क्षेत्र तय होंगे
जमीन मालिकों को सड़क किनारे प्लॉट मिलेगा
नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने कहा कि इस मांडल से उन क्षेत्रों में भी विकास संभव होगा जो अभी जमीन मालिक हैं और जहा पहुंच की कोई व्यवस्था नहीं है. भूमि पुनर्गठन इस तरह से होगा कि मालिकों को सड़क किनारे प्लांट मिलेगा और एफएआर के आधार पर उन्हें ज्यादा निर्मित क्षेत्रफल की अनुमति दी जाएगी. विवादों के समाधान के लिए विशेष ट्रिब्यूनल और रिजाल्यूशन मैकेनिज्म की व्यवस्था की गई है.
जमीन का उपयोग प्रतिशत में तय होगा
सड़क निर्माण के लिए अधिकतम :22%
कमजोर वर्गो के लिए आवास: 3%
सामाजिक संरचना (पार्क, हास्पिटल, थाना, बिजली स्टेशन, ग्रीन एरिया आदि) :5%
भूमि मालिकों को लौटाई जाने वाली जमीन: 55%
डेवलपर को विक्रय योग्य भूमि : 15%