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विश्व मगरमच्छ दिवस पर गंडक नदी में छोड़े गए 174 घड़ियाल के बच्चे

भारत-नेपाल सीमा से निकलने और वीटीआर के जंगलों से होती हुई गंडक नारायणी नदी अब चंबल नदी के बाद दूसरी ऐसी नदी है जहां साल दर साल घड़ियालों और मगरमच्छों की संख्या में इजाफा हो रहा है.

हरनाटांड़. भारत-नेपाल सीमा से निकलने और वीटीआर के जंगलों से होती हुई गंडक नारायणी नदी अब चंबल नदी के बाद दूसरी ऐसी नदी है जहां साल दर साल घड़ियालों और मगरमच्छों की संख्या में इजाफा हो रहा है. विश्व मगरमच्छ दिवस के अवसर पर मंगलवार को वन विभाग व वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सहयोग गंडक नदी में 174 घड़ियाल के बच्चों को छोड़ा गया. वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणि के ने बताया कि बगहा के धनहा-रतवल पुल के समीप घड़ियाल के अंडों के घोंसले पाए गए थे. जिनमें से 174 बच्चों का प्रजनन कराया गया था. अब चंबल नदी के बाद बिहार का दूसरी ऐसी नदी गंडक है जहां साल दर साल घड़ियालों और मगरमच्छों की संख्या में इजाफा हो रहा है. जिनकी संख्या वर्तमान में 775 से ज्यादा बताई जा रही है. वाल्मीकिनगर से सोनपुर तक 326 किमी में वर्ष 2018 से 2025 तक 876 घड़ियाल गंडक में छोड़े गये थे. वहीं 2025 में अकेले 174 घड़ियाल छोड़े गये हैं. गंडक में बड़े घड़ियाल की संख्या 400 से अधिक पहुंच गयी है. गंडक नदी में घड़ियालों की संख्या 588 फीसदी बढ़ी है. गंडक नदी में बड़ी चुनौती वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट हेड सुब्रत के बहेरा ने बताया कि पूरे विश्व में मगरमच्छ की 23 प्रजातियां पाई जाती हैं. जिसमें भारत में तीन प्रजाति के मगरमच्छ मिलते हैं. जो क्रमश: दलदली मगरमच्छ, खारे पानी का मगरमच्छ और घड़ियाल के नाम से जाने जाते हैं. इनके आवास को नष्ट करना, इनका शिकार करना समेत कई चुनौतियां है. नतीजतन भारत सरकार द्वारा वर्ष 1975 में इनके संरक्षण के लिए मगरमच्छ संरक्षण परियोजना का शुभारंभ किया गया था. प्रत्येक वर्ष नदी किनारे घड़ियालों के बालू के टीलों में अंडों को छुपाकर सुरक्षित रखती है और इनका हैचिंग कराया जाता है. जब बच्चे जन्म लेते हैं तो मां नदी किनारे तट पर आकर अपने बच्चों को आवाज देती है और बच्चे मां की आवाज सुन किलकारी भरते हुए नदी के भीतर जाते हैं. 2010-11 में देखा गया था 10 घड़ियाल चीफ इकोलॉजिस्ट व वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारी डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि वर्ष 2003 में डॉल्फिन सर्वे के दौरान मैंने पूंछ कटा घड़ियाल का बच्चा देखा था. उसके बाद वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया व वन विभाग के संयुक्त रूप से गंडक नदी में घड़ियालों को लेकर दिलचस्पी दिखाई. वही 2010-11 में 10 घड़ियालों को देखा गया. 2014 में गंडक में सर्वे के दौरान 54 घड़ियाल मिले थे. आज बड़े घड़ियालों की संख्या 400 से अधिक पहुंच गयी है. वीटीआर के जंगल से गुजरी गंडक नदी घड़ियालों व मगरमच्छों के लिए अनुकूल साबित हो रहा है. प्रतिवर्ष सर्वे में घड़ियालों व उनके बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. बेहतर रखरखाव, सुरक्षा व संरक्षण के कारण 10 से बढ़कर घड़ियालों की संख्या एक हजार करीब पहुंच गयी. घड़ियालों का संरक्षण और संवर्धन वन्यजीव जंतुओं के जानकार वीडी संजू ने बताया कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 1975 में इनके संरक्षण के लिए मगरमच्छ संरक्षण परियोजना का शुभारंभ किया गया था. मगरमच्छों और उनके जैसे अन्य सरीसृपों जैसे घड़ियाल और एलीगेटर की संरक्षा, संरक्षण और जागरूकता के लिए प्रत्येक वर्ष 17 जून को विश्व मगरमच्छ दिवस मनाया जाता है. मगरमच्छ जल और स्थल के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं. लिहाजा उनका संरक्षण बेहद जरूरी है. यदि इनका संरक्षण न किया जाए तो खाद्य श्रृंखला बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. क्योंकि इनको नदियों और दलदली क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र का शीर्ष शिकारी माना जाता है. हैचरी के बाद मां के पास लौटे नन्हे घड़ियाल वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक ने डॉ. नेशामणि के. ने बताया कि वर्ष 2013 से गंडक घड़ियाल रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत घड़ियालों संरक्षण और संवर्धन किया जा रहा है. घड़ियाल के इन अंडों के संरक्षण और प्रजनन में लॉस एंजिल्स जू कैलिफोर्निया का भी सहयोग मिलता है. इसकी देखरेख में डब्लूटीआइ व वन एवं पर्यावरण विभाग घड़ियालों के संरक्षण और संवर्धन में जुटा है. प्रतिवर्ष नदी किनारे बालू में सैकड़ों अंडों का संरक्षण कर उनका प्रजनन कराया जाता है. इस वर्ष वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया व वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से स्थानीय प्रशिक्षित ग्रामीणों के सहयोग से विगत तीन माह से गंडक नदी किनारे घड़ियाल के अंडों का संरक्षण किया जा रहा था. जिसके बाद उनका हैचरी कराया गया और फिर गंडक नदी में 174 घड़ियाल के बच्चों को छोड़ दिया गया. पिछले साल 160 बच्चों को नदी में छोड़ा गया था. तब से अब तक करीब 775 से ज्यादा घड़ियाल के बच्चों की चहचहाहट से गंडक नदी गुलजार हुआ है. मगरमच्छ व घड़ियाल के लिए हो रहा रेस्क्यू सेंटर का निर्माण वीटीआर प्रशासन की ओर से घड़ियाल व मगरमच्छों की सुरक्षा व संरक्षण को गंभीरता से लेते हुए वन प्रमंडल 2 के वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र के भेड़िहारी वन परिसर में रेस्क्यू सेंटर का निमार्ण कराया जा रहा है. यहां घायल घड़ियालों व मगरमच्छों का इलाज किया जाएगा. ठीक होने के बाद उन्हें फिर से गंडक में छोड़ दिया जाएगा. रेस्क्यू सेंटर बन जाने से घायल घड़ियाल व मगरमच्छों को इलाज के लिए पटना ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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