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जीविका की 23500 महिलाओं को मिला स्वरोजगार, लिख रहीं आर्थिक तरक्की की गाथा

जीविका के माध्यम से महिलाएं भी स्वावलंबी होकर इतिहास रच रही हैं. उनके भी उम्मीदों को पंख लग गए. वह अपने पैरों पर खुद खड़ी होकर लोगों के लिए मिसाल बन रही हैं.

अमर कुमार, सिकटा जीविका के माध्यम से महिलाएं भी स्वावलंबी होकर इतिहास रच रही हैं. उनके भी उम्मीदों को पंख लग गए. वह अपने पैरों पर खुद खड़ी होकर लोगों के लिए मिसाल बन रही हैं. उनके इस मिशन में सरकार का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है. घर से बाहर निकलकर महिलाएं देश और समाज के निर्माण में अपनी सशक्त भूमिका को निभाते हुए अन्य महिलाओं को भी प्रोत्साहित करने का काम कर रही है. वे समूह के माध्यम से महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ऋण भी दिलवाने का काम कर रही हैं तो वहीं दूसरी ओर महिलाएं स्वरोजगार कर अच्छी कमाई कर रही हैं. जिससे वह अपने परिवार का भरण पोषण बहुत ही बेहतर तरीके से करने में सफल हो रही है. आज वह किसी का मोहताज नहीं हैं. किसी के सामने हाथ फैलाने की नौबत नहीं आती है. तो वहीं दूसरी तरफ सरकार और जीविका के माध्यम से मिलने वाले ऋण से महिलाएं पापड़, आचार, और चिप्स जैसे अन्य घरेलू उत्पादों का सृजन कर बाजारों में बेच रही हैं. जिससे उनकी कमाई बहुत अच्छी हो रही है. जानकारी के अनुसार प्रखंड में लगभग साढ़े तेईस हजार महिलाएं जीविका के माध्यम से स्वरोजगार में जुट गई है. विभिन्न समूहों के माध्यम से वे रोजगार में जुटी हुई हैं.अब तो सरकार उनके लिए अस्पताल में खाना बनाने का काम हो या स्कूल में मध्यान भोजन बनाने का काम हो रोजगार मुहैया करा रही हैं. जीविका दीदियां हर तरफ से सरकार के मुहिम को धरातल पर लाने के लिए सभी सफल प्रयास कर रही हैं. यही कारण है कि महिलाएं तरक्की कर रही हैं और उनकी सफलता में सरकार कदमताल कर रही है. अब तक जीविका के माध्यम से मिले ऋण से प्रखंड के विभिन्न पंचायत के चौक चौराहों पर किराना दुकान के लिए 4213, बकरी पालने के लिए 8400, भुजा पकौड़ी के लिए 312, बेकरी के लिए 112, कपड़ा दुकान के लिए 253 गाय भैंस के लिए 6 हजार, आचार चिप्स के लिए 102, नाई दुकान के लिए 257, बर्तन दुकान के लिए 112, मसाला दुकान के लिए 2 सौ और मिठाई एवं अन्य दुकानों के लिए 315 महिलाओं को समूह के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया गया. जिससे वे अपने व्यापार को बढ़ाकर अधिक कमाई कर सके. इसमें कार्यरत एक जीविका अंतिमा कुमारी ने बताया कि महिलाओं के उड़ान को सरकार का साथ मिला है. सरकार महिलाओं को स्वरोजगार देकर महिला सशक्तिकरण और उनके जीवकोपार्जन के लिए बहुत बेहतर जरिया है. जीविका के बीपीएम सुमित कुमार ने बताया कि प्रत्येक साल जीविका के विभिन्न समूहों के माध्यम से करीब पांच करोड़ रुपए का ऋण समूहों के माध्यम से महिलाओं को दिया जा रहा है. जिससे महिलाएं विभिन्न तरह की दुकान खोल रही हैं और समाज में अपनी दमदार भूमिका निभा रही हैं. बीपीएम श्री कुमार ने बताया कि प्रखंड में कुल 1887 समूह काम कर रहे हैं. जिसमें कुल 23587 महिला सदस्य हैं. इसमें 144 ग्राम संगठन, सीएलएफ़ 3 हैं. साप्ताहिक बैठक करने वाली कैडर की संख्या 4 है. श्री कुमार ने बताया कि एक सफल महिला ही परिवार, समाज ओर देश की तरक्की में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करा सकती है. जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक आरके निखिल कहते हैं कि जीविका दीदीयों को स्वरोजगार मुहैया कराने के लिए बैंकों से जोड़ने, उन्हें प्रशिक्षित करने और उनके द्वारा तैयार उत्पाद को बाजार देने के लिए जीविका की ओर से कई योजनाओं पर कार्य चल रहा है. प्रखंडों में इसे और भी प्रभावी बनाया जा रहा है.

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