बेतिया . बाबासाहेब डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर रविवार को अग्रणी मानवाधिकार संस्था ””लोक स्वातंत्र्य संगठन”” (पीयूसीएल) एवं रामकृष्ण विवेकानंद एजुकेशनल सोसायटी बेतिया के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय परिसंवाद का आयोजन किया गया. रामकृष्ण विवेकानंद विद्या मंदिर बेलबाग बेतिया में ””नागरिक अधिकारों के संरक्षण में डॉ अंबेडकर का योगदान”” विषयक कार्यक्रम की अध्यक्षता पीयूसीएल के जिलाध्यक्ष डॉ आरके चौधरी ने की. पीयूसीएल जिलाध्यक्ष सह एमजेके कॉलेज के प्राचार्य डॉ चौधरी ने कहा कि जातीय आधार पर किए जा रहे उत्पीड़न, शोषण और अत्याचार के विरुद्ध डॉ अंबेडकर के संपूर्ण विचार नागरिक अधिकारों के प्रति उनकी संवेदनशीलता दर्शाता है. मुख्य वक्ता शिक्षाविद् एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गोरख प्रसाद ने कहा कि भारत का संविधान मानवाधिकारों का खुला दस्तावेज है जिसके शिल्पीकार थे बाबा साहेब. उनका जीवन ही उनका दर्शन है. मुख्य अतिथि पीयूसीएल के राज्य सचिव डॉ जगमोहन कुमार ने कहा कि नागरिक अधिकारों के संरक्षक डॉ अंबेडकर सभी नागरिकों हेतु न्याय, समानता, स्वतंत्रता जैसे मूल अधिकारों के लिए आजीवन प्रयत्नशील रहे. संविधान में इसे कानूनी मान्यता दिलाई. विशिष्ठ वक्ता डॉ. शमसुल हक ने कहा कि बाबासाहेब का कहना था कि शिक्षा हमारे सर्वांगीण विकास का माध्यम है. संचालन पीयूसीएल के जिला सचिव डॉ रमेश कुमार, धन्यवाद ज्ञापन पूर्व जिला सचिव मनोज कुमार ने किया. कार्यक्रम में पंकज, डॉ राजेश कुमार चंदेल, डॉ श्याम चंद्र गुप्त, रामचंद्र साह, जगदेव प्रसाद, अंजनी कुमार सिन्हा, डॉ अमित कुमार मिश्रा, सुनील तिवारी, इमरान कुरैशी, पवन कुमार, लालजी साह, आनंद कुमार अरुण, नवीन कुमार मिश्र, राविएडु सोसाइटी के राधाकांत देवनाथ, सुब्रत बनिक, संजय शर्मा आदि की सक्रिय भागीदारी रही. वहीं परिसंवाद के खुले सत्र में रीड संस्था के दर्जनों छात्र-छात्राएं अपने प्रश्नों और डाउट्स का अतिथि वक्ताओं से जवाब प्राप्त कर लाभान्वित हुए.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है