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सिंगापुर में लहराया नरकटियागंज का परचम, हरसरीके डॉ. रवि प्रकाश को मिला वैश्विक सम्मान

छोटे से गांव से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने गांव, शहर, जिला राज्य और देश का नाम रौशन करना कोई मामूली बात नहीं. लेकिन डॉ. रवि प्रकाश ने यह कर दिखाया है.

नरकटियागंज. छोटे से गांव से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने गांव, शहर, जिला राज्य और देश का नाम रौशन करना कोई मामूली बात नहीं. लेकिन डॉ. रवि प्रकाश ने यह कर दिखाया है. नरकटियागंज के हरसरी गांव निवासी और वर्तमान में आईसीएआर-सीआईपीएचईटी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में वैज्ञानिक पद पर कार्यरत डॉ. रवि को फ्यूचर फूड कांग्रेस 2025 में दो महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है.सिंगापुर एक्सपो में आयोजित इस भव्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में श्रेष्ठ प्रारंभिक करियर शोधकर्ता पुरस्कार और विशेष उल्लेख सम्मान दोनों एकमात्र भारतीय प्रतिनिधि के रूप में डॉ. रवि को मिले. इस कार्यक्रम में 50 से अधिक देशों के लगभग 1000 वैज्ञानिकों ने भाग लिया था. हासरी निवासी अरविंद द्विवेदी और अरूंधती द्विवेदी के इस पुत्र की कामयाबी पर पूरा शहर इतरा रहा है. रवि को पहले भी देश के राष्ट्रपति रहे रामनाथ कोविंद ने वर्ष 2018 में सम्मानित कर चुके हैं इसके अलावा उन्हें 2019 के बिरक्स सम्मेलन में भी पुरस्कृत किया जा चुका है.खाद्य सुरक्षा में नया अध्याय, रवि के शोध की गूंज डॉ. रवि का शोध सौर ऊर्जा के कुशल भंडारण हेतु नैनोमटेरियल्स के विकास पर केंद्रित है. यह तकनीक विशेष रूप से ग्रामीण भारत के लिए उपयोगी होगी, जहां खराब हो जाने वाले उत्पादों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था सीमित होती है. छोटे और सीमांत किसानों को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है, जिससे उनकी आय में सुधार संभव होगा.इस अत्याधुनिक शोध को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली और यही कारण है कि उन्हें दोहरी उपलब्धि प्राप्त हुई. इस यात्रा के लिए भारत सरकार के अनुसंधान फाउंडेशन एनआरएफ ने सहयोग प्रदान किया. नैनो फल्यूड बैकेट का कर चुके हैं निर्माण डाॅ रवि प्रकाश ने वर्ष 2019 में एक ऐसे नैनो फल्यूड बैकेट का निर्माण कर चुके हें जिसमें दूध महीनों खराब नही होता. 17 जुलाई 2019 को नई दिल्ली में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से आई आईटी मुंबई में आयोजित इंडिया इनोवेशन ग्रोथ प्रोग्राम में उक्त अविष्कार का चयन हुआ था. महज 20 हजार की लागत से बैकेट तैयार करने को लेकर 19 मार्च 2018 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 15 लाख रूपये का पुरस्कार दिया था.

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