बगहा. खरीफ फसल धान व गन्ना फसलों में छिड़काव के लिए यूरिया विगत 20 दिनों से गायब है. चाहे बिस्कोमान भवन हो या पैक्स गोदाम सभी जगहों पर देखने के लिए एक बोरी यूरिया नहीं है. जिससे किसानों की समस्या और भी बढ़ गयी है. खासकर धान रोपनी के बाद अब किसानों को फसलों में यूरिया छिड़काव की जरूरत है. ऐसे में यूरिया नहीं मिलने से किसान काफी परेशान दिख रहे हैं. वहीं कुछ सामर्थ्यवान किसान महंगी कीमतों में यूरिया की खरीदारी कर अपनी फसलों में छिड़काव कर रहे हैं. जबकि मध्यम व निर्धन किसान यूरिया की किल्लत से अपनी फसलों में यूरिया छिड़काव से वंचित हैं. जिससे उनके फसलों का विकास अवरुद्ध हो गया है. साथ ही फसलों में तरह-तरह के रोग लगना शुरू हो गया है. जिसको देख किसान काफी परेशान दिख रहे हैं. गौरतलब हो कि किसान यूरिया खाद को मनमाने दामों पर खरीदने के लिए मजबूर हैं. सरकारी मूल्य 266 रुपये की बजाय 500 रुपये की मूल्यों पर कुछ दुकानदार यूरिया के साथ अन्य उत्पाद जबरदस्ती बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं. जबकि किसानों को यूरिया खाद खरीदने जाने पर बिस्कोमान भवन व पैक्स गोदाम के संचालक के द्वारा कहा जाता है कि अभी यूरिया खाद नहीं है. यूरिया खाद आने के बाद ही मिलेगा. देखते ही देखते 20 दिनों से अधिक हो गया लेकिन अब तक किसानों को यूरिया मिलने का कोई आसार नहीं दिख रहा है. बता दें कि किसानों को मजबूर होकर उचित मूल्य के बजाय अधिक मूल्य में यूरिया खाद लेना पड़ रहा है . कुछ किसानों का कहना है कि दुकानदारों ने दुकान में यूरिया खाद रखने के बजाए दूसरे जगहों पर छुपा कर रखा गया है. जो जांच का विषय है. दिखावे के लिए थोड़ा बहुत जल्द बाजी में बांटते हैं और शेष यूरिया खाद को 450 से 500 रुपये में बेच रहे है. किसानों का कहना है कि प्रत्येक पंचायत में कृषि पदाधिकारियों द्वारा पंचायत स्तर पर निगरानी सौंपी जाए. जिससे कालाबाजारी पर लगाम लग सके. वहीं इस तरह की रवैया से अधिकारियों पर कई तरह सवाल किसानों द्वारा उठाया जा रहा है.
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