बेतिया/बगहा. मोतिहारी के वरीय अधिवक्ता रत्नाकर मिश्र के अपहरण कांड में 17 वर्षों के लंबे कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सोमवार को जिला जज चतुर्थ मानवेंद्र कुमार मिश्र की कोर्ट ने अपहर्ता राजेन्द्र चौधरी उर्फ राजेन्द्र चौहान को भादसं की धारा 364ए/34 भादवि के तहत दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने 10 हजार का जुर्माना देने का आदेश दिया. जुर्मना की राशि नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त कठोर सजा भुगतना होगा. सजा सुनाये जाने के साथ ही कोर्ट में आरोपी रो पड़ा. उसने कहा हुजूर हम निर्दोष है. हमारा एक ही बेटा है. हमें माफ कर दीजिएगा. घटना की चश्मदीद अपहृत अधिवक्ता रत्नाकर मिश्र की पत्नी रंजू देवी ने कोर्ट से फैसला आने के साथ ही कहा कि अब जाकर इंसाफ मिला है. अधिवक्ता की पत्नी रंजू देवी ने कहा कि मेरे आंखों के सामने मेरे पति को घर से खिंचकर अगवा किया गया था. कोर्ट ने कहा कि राजेंद्र यादव की अपराध जघन्य की श्रेणी में है. उसपर दर्जन भर आपराधिक कांड को अंजाम दिया है. ऐसे अभ्यस्थ अपराधी को माफ नहीं किया जा सकता. बता दें कि मामले में रंजू देवी ने प्राथमिकी कराई थी. इसमें उन्होंने बताया था कि 23 अक्तूबर 2008 की रात्रि में वह पति रत्नाकर मिश्रा के साथ थीं. उनके बच्चे ननिहाल मोतिहारी में थे. रात्रि करीब 10.30 बजे अचानक 4-5 अज्ञात अपराधी आये और घर का दरवाजा तोड़कर घर में से उनके पति को पकड़कर अपने साथ ले गये. सभी हथियार से लैस थे. अपराधियों के चले जाने के बाद अपने जेठ नवल किशोर मिश्रा को बताई फिर गांव के लोगों को बुलाकर लाये. थाना रात्रि हो जाने के कारण सूचना नहीं दे सकी. ————————- इनके बयान ने अपहर्ता को दिलाया सजा इस मामले में पुलिस ने जांच के बाद राजेन्द्र चौधरी उर्फ राजेन्द्र चौहान के विरुद्ध मामले को सत्य पाते हुए आरोप पत्र समर्पित किया गया. मामले में परशुराम यादव, कृष्णानंद झा, रत्नाकर मिश्रा व कुमारी रंजु देवी ने अपने बयान में पुख्ता साक्ष्य कोर्ट को दिया. जिसे प्रमाण मानते हुए कोर्ट ने सजा सुनाया. बचाव पक्ष की ओर से एक मौखिक साक्षी को प्रस्तुत किया गया एवं दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है