नरकटियागंज (पचं). भारत-नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मिकीनगर में अब नया और अत्याधुनिक गंडक बराज बनेगा. इसकी नींव चंपारण क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास, बाढ़ सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को मजबूती देने के उद्देश्य से रखी जा रही है. केंद्रीय कोयला एवं खान राज्यमंत्री सतीश चंद्र दुबे ने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट कर प्रस्ताव सौंपा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान गंडक बराज, 1959 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में भारत-नेपाल द्विपक्षीय समझौते के तहत बना था. अब बेहद जर्जर स्थिति में है. इसकी जलधारण क्षमता भी काफी घट चुकी है. इससे मानसून में जल दबाव के चलते पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, सारण और वैशाली तक बाढ़ की गंभीर समस्या उत्पन्न होती है. जनवरी 2025 से वाल्मिकीनगर लैंड कस्टम स्टेशन के जरिए नेपाल को निर्यात शुरू हो चुका है, लेकिन बराज की जर्जर संरचना और अभिलेखों के अभाव में इस पर भारी वाहनों का परिचालन संभव नहीं है. व्यापारियों को 180 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय कर माल नेपाल भेजना पड़ रहा है. इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार ठप पड़ गया है. नयी ऊंचाई की बराज के ऊपर बनेगी चौड़ी सड़क प्रधानमंत्री से हुई चर्चा में मंत्री दुबे ने मांग की कि एक नई, अधिक ऊंचाई और मजबूत गंडक बराज का निर्माण कराया जाए. इसके ऊपर एक चौड़ी सड़क बनाई जाए ताकि भारत-नेपाल के बीच निर्बाध व्यापार हो सके. आम लोगों को भी सुगम परिवहन की सुविधा मिले. मंत्री ने कहा कि यह नया बराज न केवल बाढ़ से सुरक्षा देगा, बल्कि चंपारण की आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देगा. उन्होंने गंडक नदी की तत्काल डीसिल्टेशन (गाद हटाने) की भी जरूरत जतायी, ताकि जल प्रवाह सुचारु रूप से हो सके. गंडक बराज के मुख्य बिंदु : – 1959 में बना था गंडक बराज, अब क्षमता में भारी गिरावट -नेपाल के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है नया स्ट्रक्चर -पुराने बराज पर भारी वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित -नया बराज होगा बाढ़ सुरक्षा और आर्थिक विकास का प्रमुख आधार
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