नरकटियागंज. गोपाला ब्रह्मा स्थान के पेड़ों पर फले जामुन और गर्मी की छुट्टियों की बेफिक्री ने एक साथ तीन परिवारों की खुशियां लील लीं. नरकटियागंज में पहली बार हुई ऐसी दर्दनाक घटना ने पूरे शहर को झकझोर दिया है. शुक्रवार दोपहर का समय था. नगर के वार्ड संख्या दो और पहकौल जमुनिया के पांच बच्चे आम और जामुन के लालच में घर से निकले. उम्र थी वही 10 से 13 साल के बीच.खेल, मस्ती, और एक साथ नहाने की ख्वाहिश उन्हें खींच लाई गोपाला ब्रह्मा स्थान के समीप बहती हड़बोड़ा नदी की ओर. दोपहर दो बजे के करीब चारों दोस्त हंसते खिलखिलाते जामुन के पेड़ के नजदीक पहुंचे. जामुन खाने की लालच और पानी में फुदकने की ख्वाहिशों ने दस मिनट के अंतराल में सब कुछ मिटा दिया. पानी में चहकते हुए चारों घुसे जरूर लेकिन लौटकर सिर्फ एक ही आया रेहान शेख. बाकी इरशाद, दिलशाद, रिजवान और आशिफ उस नदी की गहराई में डूब गए, जहां जीवन से अधिक गहराई मौत की थी. मां शहनाज खातून की आंखें अब आंसू नहीं बहातीं पिछले 24 घंटे से दहकते दहकते उसके आंसू सुख चुके है. वो बदहवास सी हो गयी है. छह महीने पहले उन्होंने पति को खोया और अब इकलौता बेटा आशिफ भी चला गया. वह अपने बेटे की याद में बस एक सवाल दोहरा रही हैं अब मैं क्यों जिऊं रिजवान की मां रबुनेशा खातून की चीखें मोहल्ले के हर घर तक पहुंच रही थीं. ऐसा दर्द, जिसे बयां करने के लिए शब्द नहीं, बस सिसकियां काफी थीं. पिता फिरोज अंसारी स्तब्ध खड़े थे जैसे सब कुछ थम सा गया हो.
ठुकराया मुआवजा, नहीं कराया बच्चों का पोस्टमार्टम
जब मेरे बच्चे ही नहीं रहे, तो क्या करूं इस मुआवजा का, ऊपरवाले ने सब कुछ छीन लिया मेरा, अब कुछ नहीं चाहिए नदी में डूबने से हुई मौत मामले में गौनाहा थाना के पहकौल निवासी मो. मुस्तफा आलम और रौशनी के दोनों पुत्र ईरशाद और दिलशाद की मौत के बाद रौशनी यहां चीखती रही. अधिकारी व स्थानीय लोगों ने बच्चों का पोस्टमार्टम कराने को कहा लेकिन रौशनी बोली क्या होगा पैसा जब मेरी दुनिया ही नहीं है तो वो अनुदान लेकर क्या करेगी. एक मां के लिए उसके बेटों से बढ़कर कुछ भी नहीं. रौशनी और मुस्तफा के आंखों से बहने वाले आंसू अधिकारियों के संवेदनशीलता को भी धो रहे थे.
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मासूमों के साथ गए रेहान ने बताई घटना की सच्चाईडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है