23 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

बिहार: मिथिला मखाना के नाम पर फर्जीवाड़ा का आरोप, उत्पादकों को नहीं मिल रहा GI टैग का फायदा, जानें पूरा मामला

Bihar News: मिथिला मखाना के नाम पर फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है. इसके जगह पर बंगाल का मखाना पैक हो रहा है. बड़े कारोबारी लोकल मखाना उत्पादकों के निबंधन नहीं होने का फायदा उठा रहे हैं. इस कारण लोकल किसानों की पूंजी व मेहनत बेकार जाने की बात कही जा रही है.

Bihar News: मिथिला मखाना के नाम पर फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है. इसके जगह पर बंगाल का मखाना पैक हो रहा है. बड़े कारोबारी लोकल मखाना उत्पादकों के निबंधन नहीं होने का फायदा उठा रहे हैं. इस कारण लोकल किसानों की पूंजी व मेहनत बेकार जा रही है. बंगाल का माल सस्ते दर पर निकल रहा है. पूर्णिया जिले के मिथिला मखाना के जीआइ टैग वाले पॉकेट में बंगाल का मखाना बेचकर लोकल मखाना उत्पादकों का नुकसान हो रहा है. मखाना के बड़े कारोबारी पूर्णिया के लोकल मखाना उत्पादकों के निबंधन नहीं होने का लाभ उठा रहे हैं.

विभागीय स्तर पर ऑथराइज्ड यूजर रजिस्ट्रेशन का अभियान जारी

इससे एक तरफ जहां उनकी मेहनत और पूंजी बेकार जा रही है. वहीं, लोकल मखाना डंप हो रहा है. इस मामले में उच्चस्तरीय जांच और कार्रवाई की जरुरत समझी जा रही है. इससे बचने के लिए विभागीय स्तर पर ऑथोराइज्ड यूजर रजिस्ट्रेशन का अभियान भी चलाया जा रहा है. जानकारी के अनुसार बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डाॅ डीआर सिंह की पहल और पूर्णिया कृषि काॅलेज की तकनीक से पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल में बड़े पैमाने पर मखाना का उत्पादन किया जा रहा है. इसी प्रयास के तहत पूर्णिया में उत्पादित मखाना को मिथिला मखाना के नाम से जीआइ टैग दिया गया है, जिसकी मांग देश के महानगरों से लेकर विदेशों तक हो रही है. इधर, पूर्णिया के मखाना उत्पादकों के लाभ के लिए उद्यान निदेशालय द्वारा यह नियम लागू किया गया कि इसके लिए उन्हें निबंधन कराना अनिवार्य होगा. निबंधन कराने के बाद ही वह इस जीआइ टैग का फायदा उठा पायेंगे. मगर, जानकारी के अभाव में अधिकांश मखाना उत्पादकों ने अब तक अपना निबंधन नहीं कराया है जिसके कारण बड़े कारोबारी उनके नाम पर बंगाल के मखाना से अपना कारोबार चला रहे हैं.

Also Read: बिहार: नालंदा में गहरे बोरवेल में गिरा मासूम शिवम, सुरक्षित बाहर निकालने के लिए चल रहा प्रयास
उद्यान निदेशालय के अधिकारियों को मिली शिकायत

गौरतलब है कि सीमांचल के पूर्णिया व किशनगंज से सटे हरिश्चंद्रपुर, कुमेदपुर, दालकोला आदि पश्चिम बंगाल के इलाकों में भी पिछले एक-दो साल से मखाना का उत्पादन होने लगा है. इसका पता लगते ही कारोबारी पूर्णिया की अपेक्षा सस्ते दर पर बंगाल वाले मखाना उत्पादकों से सौदा करते हैं और मिथिला मखाना की ब्रांडिंग का फायदा उठाते हैं. उद्यान निदेशालय के अधिकारियों तक हाल ही में इस तरह की शिकायत पहुंची है. इस शिकायत के आलोक में जांच व कार्रवाई की पहल भी हो रही है पर निदेशालय ने इस बात पर ज्यादा जोर दिया है कि सभी मखाना किसान जल्द से जल्द निबंधन करा लें और मिथिला मखाना के ऑथोराइज्ड यूजर बन जायें. जानकारी के अनुसार यह देखा जा रहा है कि बड़े व्यापारियों द्वारा पश्चिम बंगाल का मखाना खरीदकर मिथिला मखाना जीआइ 696 के नाम से मार्केटिंग और ब्रांडिंग कर रहे हैं जो इस क्षेत्र के मखाना किसानों के हित में नहीं है. निदेशालय को इस फर्जीवाड़ा में गुणवत्ता की भी शिकायत मिली है. वैसे, बिहार सरकार भी इस मामले में सतर्कता बरत रही है.

बिहार में मखाना उत्पादन (हैक्टेयर में)

पूर्णिया – 140

मधुबनी- 175

सहरसा- 140

मधेपुरा 140

कटिहार-140

किशनगंज- 90

अररिया- 140

सीतामढ़ी- 10

दरभंगा- 145

सुपौल- 100

Also Read: बिहार में बढ़ रहा साइबर क्राइम, बदमाशों ने झांसे में लेकर उड़ाए लाखों रुपए
‘किसानों अनिवार्य रुप से करें मिथिला मखाना का निबंधन’

कृषि काॅलेज के प्राचार्य डा. पारसनाथ कहते है कि मखाना किसानों को अनिवार्य रुप से मिथिला मखाना का निबंधन कराना चाहिए. इसके लिए कृषि काॅलेज में और कृषि विज्ञान केंद्र में फार्म उपलब्ध हैं. इसमें संबंधित मखाना किसान का निबंधन उत्पादक क्षेत्र का जीपीएस लोकेशन के आधार पर किया जाना है. इससे निबंधित किसान का लावा ही मिथिला मखाना के नाम से मार्केट में जायेगा और किसानों को भी फायदा होगा. संबंधित क्षेत्र के मखाना उत्पादक निश्चित रूप से निबंधन करायें क्योंकि इससे फर्जीवाड़े की कोई संभावना नहीं रहेगी.

किसानों को खेती-किसानी से अच्छी आमदनी हो और उनकी उपज को बाजार में अच्छे दाम मिल सकें. इसके लिये भारत सरकार लगातार नई योजनाओं पर काम कर रही है. इसी बीच भारत सरकार ने बिहार के किसानों को आमदनी को दोगुना करने का रास्ता प्रशस्त करते हुए मिथिला मखाना को जीआई टैग प्रदान किया है. सरकार के इस फैसले से यहां के किसीनों को काफी फायदा होगा. राज्य से निकलकर यह मखाना अब विदेशों तक पहुंचेगा. बताया जाता है कि मखाना को जीआई टैग दिलवाने के लिये किसानों ने लंबे समय से प्रयास किया था. इसके बाद जीआई टैग मिला था. वहीं, अब निबंधन कराने के बाद ही उत्पादकों को इसका लाभ मिल सकेगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel