बिहारशरीफ. सावन के पांच दिन बीत जाने के बाद भी आसमान से अब तक राहत की बारिश नहीं बरसी थी. इससे किसानों की चिंता बढ़ती जा रही थी, लेकिन रविवार की सुबह से मौसम के बदले रुख ने नई उम्मीदें जगा दी हैं. सुबह से ही आसमान में घने बादलों का डेरा रहा और दिन ढलते-ढलते कहीं-कहीं हल्की बूंदाबांदी भी हुई. हालांकि बारिश शुरू नहीं हुई है. फिर भी किसानों के चेहरों पर संतोष और उम्मीद की रेखा साफ झलकने लगी. खासकर धान की रोपनी को लेकर अब फिर से आस बंधी है. जिले में हर साल करीब 1.6 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की रोपनी होती है, लेकिन इस बार पानी की कमी से सिर्फ 8 से 10 प्रतिशत खेतों में ही रोपनी शुरू हो सकी है. फिलहाल केवल संपन्न और साधनयुक्त किसान ही पंप सेट की मदद से सिंचाई कर धान की बुआई कर पा रहे हैं. जिले की करीब 67.5 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती पर निर्भर है. ऐसे में बारिश न होने से सामान्य और छोटे किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. यहां की खेती पूरी तरह से मौसम पर आधारित है. जब मौसम बिगड़ता है, तो किसान का माथा चिंता से भर जाता है, और जैसे ही बादल छाते हैं, उम्मीदें लौटने लगती हैं. रविवार की यह हल्की बरसात अगर अगले कुछ दिनों में तेज बारिश में बदलती है, तो जिले में धान की रोपनी को गति मिलेगी और किसानों की चिंताएं कम होंगी. मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों में हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना बनी हुई है, जिससे कृषि कार्यों को बढ़ावा मिल सकता है. हालांकि अब तक अच्छी बारिश का इंतजार बना हुआ है, लेकिन रविवार के बदले मौसम ने उम्मीदों की जमीन तैयार कर दी है. अगर अगले सप्ताह में अच्छी बारिश होती है, तो जिले के खेतों में फिर से हरियाली लहराने लगेगी और किसानों के चेहरे पर सच्ची मुस्कान लौटेगी.
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