राजगीर. राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान मंगलवार को प्रसिद्ध रामकथा वाचक मुरारी बापू की कथा में शामिल हुए. आमजन की तरह दर्शक दीर्घा में बैठकर उन्होंने रामकथा का रसपान किया. इस भक्ति और अध्यात्म से परिपूर्ण वातावरण में राज्यपाल ने श्रद्धा और समर्पण के साथ भाग लिया. उन्होंने मुरारी बापू की वाणी को ध्यानपूर्वक सुना और कहा कि भारतीय संस्कृति की जड़ें अत्यंत गहरी हैं. उन्हें इस प्रकार की कथाओं से और मजबूती मिलती है. राज्यपाल ने कहा कि रामकथा केवल धार्मिक विषय नहीं है. यह जीवन जीने की कला सिखाती है. उन्होंने मुरारी बापू के आध्यात्मिक विचारों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी कथाएं समाज में नैतिक मूल्यों और आपसी सौहार्द को बढ़ावा देती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि धर्म और भक्ति का मार्ग व्यक्ति को आंतरिक शांति और सामाजिक एकता की ओर ले जाता है. श्रद्धालुओं के साथ बैठकर पूरे भाव से रामकथा का श्रवण करना यह दर्शाता है कि भक्ति भाव किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है. बल्कि यह मानवता और एकता का प्रतीक है. उनकी उपस्थिति ने कथा को एक नया सम्मान प्रदान किया है. उन्होंने कहा बिहार का राज्यपाल होने के नाते पूज्य मोरारी बापू और आपका ( दूसरे प्रदेशों से आये श्रावकों) स्वागत करने आया हूं. उनका सौभाग्य है कि 80 के दशक से बापू का स्नेह प्राप्त है. बापू के आश्रम और कथा दोनों जगहों पर जाने का अवसर उन्हें मिलता है. मैथिली शरण गुप्त ने श्री राम के बारे में कहा कि राम तुम्हारा चरित्र स्वयं काव्य है. सत्संग की महिमा बड़ी निराली है. उन्होंने बताया पृथ्वी पर के सभी प्राणी अपने आप में दुनिया हैं. हमारी संस्कृति भाषा और उपासना के तरीके से खाल के रंग से परिभाषित नहीं होती, बल्कि संस्कृति से परिभाषित होती है. हम सभी आत्माओं के बंधन से बंधे हैं. भारतीय संस्कृति में विविधता और अनेकता का संगम है.
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