बिहारशरीफ. जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी और सुधार को लेकर जिला पदाधिकारी कुंदन कुमार की अध्यक्षता में भाव्या कार्यक्रम की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी. बैठक में जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों की ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य प्रदर्शनात्मक सूचकांकों की गहन समीक्षा की गयी. इस दौरान खराब प्रदर्शन पर संबंधित स्वास्थ्य प्रबंधकों की मानदेय कटौती के निर्देश भी दिये गये. जिले में ऑनलाइन डॉक्टर परामर्श की कुल प्रगति 93.88 प्रतिशत दर्ज की गयी, जो राज्य स्तर पर बेहतर स्थिति मानी जा सकती है, लेकिन कुछ प्रखंडों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा. इसलामपुर सीएचसी में 80.80 प्रतिशत, सिलाव सीएचसी में 87.93 प्रतिशत, रहुई सीएचसी में 89.77 प्रतिशत, कतरीसराय पीएचसी में 89.46 प्रतिशत रहा. इन आंकड़ों को सबसे कम उपलब्धि मानते हुए जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि इसलामपुर के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक का 15 प्रतिशत मानदेय तथा अन्य कमजोर प्रदर्शन वाले संस्थानों के प्रबंधकों का 10 प्रतिशत मानदेय जून 2025 के लिए काटा जाये. मूलभूत स्वास्थ्य परीक्षण के मामले में जिले की औसत प्रगति 91.85 प्रतिशत रही, लेकिन कुछ अस्पतालों में यह औसत काफी कम रहा. हिलसा अनुमंडलीय अस्पताल में 74.34 प्रतिशत, राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल में 85.96 प्रतिशत, चंडी रेफरल अस्पताल में 88.57 प्रतिशत, अस्थावां रेफरल अस्पताल में 80.04 प्रतिशत रहा.
जिलाधिकारी ने इसे भाव्या कार्यक्रम में रुचि की कमी का संकेत माना और इन अस्पतालों के प्रबंधकों का भी 10 प्रतिशत मानदेय कटौती का आदेश जारी किया. जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने स्पष्ट निर्देश दिए कि ऑनलाइन डॉक्टर परामर्श, मूलभूत स्वास्थ्य जांच सहित भाव्या कार्यक्रम के सभी मानकों में 100 प्रतिशत उपलब्धि सुनिश्चित की जाये. सभी स्वास्थ्य प्रबंधक अपने-अपने केंद्रों पर रोको टोको अभियान चलाएं, ताकि जरूरतमंद मरीजों को समय पर और सरल तरीके से स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें. नियमित टीकाकरण की दर 95 प्रतिशत से किसी भी हाल में कम नहीं होनी चाहिए, ताकि बच्चों को कुपोषण और बीमारियों से बचाया जा सके. स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करते हुए हाशिए पर रहने वाले लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं की शत-प्रतिशत पहुंच सुनिश्चित की जाये. भाव्या कार्यक्रम की समीक्षा में जहां जिले ने कई क्षेत्रों में संतोषजनक प्रदर्शन किया है, वहीं कुछ संस्थानों की लापरवाही उजागर हुई है. जिलाधिकारी द्वारा की गई वेतन कटौती की कार्रवाई यह स्पष्ट संदेश देती है कि अब काम में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही और समयबद्ध कार्य अब शासन की प्राथमिकता है.
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