बिहारशरीफ. जिला परिषद सदस्य पूनम सिन्हा ने विकास योजनाओं में अनियमितता, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का आरोप लगाते हुए पटना उच्च न्यायालय की शरण ली है. पूनम सिन्हा ने बताया कि बीते चार वर्षों में उन्होंने 120 योजनाओं का प्रस्ताव जिला परिषद के समक्ष रखा, जिसमें से केवल 20 योजनाओं को स्वीकृति मिली और सिर्फ 11 योजनाओं का क्रियान्वयन हो पाया. इनमें भी मात्र 3 योजनाएं पूर्ण रूप से संपन्न हुईं, जबकि 2 योजनाओं का आंशिक भुगतान हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि एक योजना, जो मुजफ्फरपुर (बेन) क्षेत्र में थी, उसमें रॉयल्टी के नाम पर करीब ₹2 लाख की राशि काट ली गई, जिसका भुगतान आज तक नहीं हुआ है. इसके अतिरिक्त, विभिन्न क्षेत्रों में लगाए गए चापाकलों के श्रम भुगतान भी अब तक लंबित हैं. पूनम सिन्हा ने कहा कि उनका कार्यकाल लगभग चार वर्ष पूर्ण हो चुका है, और आगामी विधान सभा चुनाव को लेकर जल्द ही आदर्श आचार संहिता लागू होने वाली है. इसके बावजूद, किसी भी वित्तीय वर्ष में योजनाओं की स्वीकृत राशि का पूर्ण व्यय नहीं हो सका. उन्होंने बताया कि इस बाबत उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री को पत्र और ईमेल के माध्यम दिया गया है. लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. पूनम सिन्हा ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ भ्रष्ट नेता उनके कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहे हैं और उनके कार्यकर्ताओं को धमकाया जा रहा है. इससे मैं डरने वाली नहीं हूं, और न ही मेरे साथी डरेंगे. यह बयान उन्होंने एक पौधा वितरण कार्यक्रम के दौरान दिया.
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