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शहर के खंदकपर से दो बाल श्रमिक कराये गये मुक्त

बाल श्रम के खिलाफ जिले में श्रम संसाधन विभाग बिहार के निर्देश पर बड़ी कार्रवाई की गयी है. शहर में विशेष धावा दल ने कई प्रतिष्ठानों पर छापा मारा और सघन जांच अभियान चलाया.

बिहारशरीफ. बाल श्रम के खिलाफ जिले में श्रम संसाधन विभाग बिहार के निर्देश पर बड़ी कार्रवाई की गयी है. शहर में विशेष धावा दल ने कई प्रतिष्ठानों पर छापा मारा और सघन जांच अभियान चलाया. इस कार्रवाई के दौरान दो प्रतिष्ठानों से कुल दो बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया. यह अभियान श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी सतीश कुमार सिंह के संयोजन में संचालित हुआ. धावा दल की टीम ने खंदकपर और स्टेशन रोड खंदकपर क्षेत्र में बाल श्रम के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए इन प्रतिष्ठानों की बारीकी से जांच की. मुक्त कराये गये बच्चों को विधिसम्मत प्रक्रिया के तहत बाल कल्याण समिति, बिहारशरीफ, नालंदा के समक्ष प्रस्तुत किया गया है. श्रम अधीक्षक अश्विनी कुमार ने बताया कि यह अभियान जिले में आगे भी जारी रहेगा और बाल श्रम में लिप्त पाये गये प्रतिष्ठानों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि नियोजकों पर प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया प्रगति पर है और दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा. इस विशेष अभियान में कई विभागीय अधिकारियों और संस्थाओं की भागीदारी रही. श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी बिहारशरीफ, सतीश कुमार सिंह. श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी नूरसराय, पिंकी कुमारी. आइडिया संस्था के जिला समन्वयक, उज्ज्वल कुमार, प्रयास संस्था से जिला समन्वयक, अब्दुल व शैलेंद्र प्रसाद, स्थानीय थाना बिहारशरीफ के पुलिसकर्मी बल. श्रम विभाग ने स्पष्ट किया है कि बाल श्रम के खिलाफ जिले में जीरो टॉलरेंस नीति अपनायी जा रही है. किसी भी प्रतिष्ठान में यदि नाबालिग बच्चों से काम कराना पाया जाता है, तो कड़ी सजा और जुर्माना तय है. इस अभियान में आइडिया और प्रयास जैसी सामाजिक संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी उल्लेखनीय रही. इन संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने विमुक्त बाल श्रमिकों के पुनर्वास की दिशा में जरूरी प्रक्रिया को भी आरंभ कर दिया है. बाल श्रम न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि यह बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ भी है. जिला प्रशासन और श्रम विभाग की इस सख्त कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट है कि अब ऐसे मामलों में लापरवाही या अनदेखी नहीं की जायेगी. आगामी दिनों में और भी सघन जांच की संभावना है. ऐसे में प्रतिष्ठानों को सतर्क रहना होगा और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करनी होगी.

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