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पत्नी व तीन बच्चों की मौत, खुद आईसीयू में भर्ती

कोरोना काल के लॉकडाउन ने शेखपुरा के पुरनकामा गांव निवासी व कपड़ा व्यवसायी धर्मेंद्र कुमार को ऐसी आर्थिक तंगी के सागर में डुबाया कि वह फिर इससे बाहर नहीं निकल सका.

शेखपुरा. कोरोना काल के लॉकडाउन ने शेखपुरा के पुरनकामा गांव निवासी व कपड़ा व्यवसायी धर्मेंद्र कुमार को ऐसी आर्थिक तंगी के सागर में डुबाया कि वह फिर इससे बाहर नहीं निकल सका. कर्ज के बोझ से आजिज होकर धर्मेंद्र कुमार ने आखिरकार ऐसा कदम उठाया कि घटना को सुनकर सभी की रूह कांप गई .धर्मेंद्र ने अपनी पत्नी एवं तीन बच्चों के साथ सल्फास खा लिया. सल्फास खाने के बाद धर्मेंद्र की पत्नी ने अपने मायके में फोन कर परिजनों को इसकी जानकारी दी. इसके बाद उनके परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों की मदद से गंभीर हालत में सभी लोगों को पावापुरी स्थित विम्स अस्पताल ले जाया गया परंतु इस घटना में धर्मेंद्र कुमार की पत्नी सोनी कुमारी (38 वर्ष), दो बेटियां दीपा कुमारी (16 वर्ष) एवं अरीमा (14 वर्ष) तथा एक बेटा शिवम कुमार 12 वर्ष की मौत हो गई जबकि परिवार का मुखिया स्वयं धर्मेंद्र कुमार फिलहाल आईसीयू में भर्ती है और अपनी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है. सल्फास खाने और खिलाने के दौरान धर्मेंद्र का सबसे छोटा व करीब 09 वर्षीय बेटा किसी प्रकार घर से बाहर निकल गया था, जिसके कारण उसे सल्फास नहीं खिलाया गया और उसकी भी जिंदगी बच गई. पूरी तरह झकझोर देने वाली इस घटना की सूचना जैसे ही धर्मेंद्र के गांव पहुंची तो वहां भी सभी ग्रामीण पूरी तरह हतप्रभ रह गए जबकि उसके ससुराल में भी कोहराम मच गया. लॉकडाउन में धर्मेंद्र का कारोबार हो चुका था पूरी तरह चौपट कोरोना काल के लॉकडाउन में ही धर्मेंद्र का कारोबार पूरी तरह चौपट हो चुका था. ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार धर्मेंद्र लंबे अरसे से अपने गांव से बाहर ही रहा था .कोरोना काल से पहले उसने पटना में एक कपड़े का शॉपिंग मॉल खोला था. यह दुकान काफी अच्छा चल रहा था. इस दुकान को खोलने के लिए उसने कई लोगों से कर्ज भी लिए थे परंतु इसी के बाद कोरोना कॉल ने उसके व्यवसाय को पूरी तरह चौपट कर दिया और उसे काफी नुकसान झेलना पड़ा.इसी के बाद उसकी आर्थिक तंगी धीरे-धीरे और बढ़ने लगी, जिससे वह कभी उबर नहीं पाया. पावापुरी में किराए के मकान में रहकर चला रहा था छोटा-मोटा दुकान बताया जाता है कि पटना में व्यवसाय पूरी तरह चौपट होने के बाद उसने नालंदा के पावापुरी में मां काली साड़ी सेंटर नाम से एक मामूली सा दुकान चला रहा था. वही वह अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ किराए के ही मकान में रह रहा था. धर्मेंद्र पर एक तरफ भारी भरकम रकम का कर्ज था तो वहीं दूसरी तरफ उसकी आमदनी इतनी कम थी कि वह अपने परिवार का ठीक ढंग से भरण पोषण भी नहीं कर पा रहा था. कर्ज की रकम चुकाने को लेकर आए दिन उस पर दवाब भी बनाये जा रहे थे. ऐसे में कर्ज के बोझ के तले धर्मेंद्र ने अपने परिवार के साथ मिलकर सल्फास की गोली खाकर जीवन लीला ही समाप्त करने का खतरनाक निर्णय ले लिया और आखिरकार उसके इस कदम ने उसकी पत्नी और तीन बच्चों को मौत की नींद सुला दी जबकि वह खुद आईसीयू में भर्ती है. ग्रामीणों में रहा शोक व्याप्त पिछले चार पांच साल से बेहद कम गांव में रहने वाले इस परिवार के चार लोगों की मौत सल्फास की गोली खा लेने से हो जाने की घटना की जानकारी लोगों से सोशल मिडिया के जरिए मिली. यह घटना सुनकर ग्रामीणों में शोक व्याप्त रहा. हर कोई यह कहते दिखे की भगवान किसी की ऐसी नौबत नहीं लाएं. जिससे खुद के साथ बच्चों को भी मारने की नौबत आ पड़े .

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