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बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने तीसरे दिन कालचक्र मैदान में दिया प्रवचन, अरुणाचल प्रदेश के CM हुए शामिल

बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा आज तीसरे दिन कालचक्र मैदान में प्रवचन दिया. आज 31 दिसंबर को बौद्ध धर्म गुरु के टीचिंग कार्यक्रम के तीसरा दिन था. इस कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू भी शामिल हुए हैं.

बोधगया: बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा आज तीसरे दिन कालचक्र मैदान में प्रवचन दिया. बता दें कि आज 31 दिसंबर को बौद्ध धर्म गुरु के टीचिंग कार्यक्रम के तीसरा दिन था. इस कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू भी शामिल हुए हैं. बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के टीचिंग को 15 भाषाओं में ट्रांसलेट किया जा रहा है. अलग-अलग देश के बौद्ध श्रद्धालु अलग-अलग भाषाओं में एफएम के जरिए टीचिंग सुन रहे हैं.

बोधिसत्व की दीक्षा दी जाएगी

बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के तीसरे दिन के टीचिंग प्रोग्राम के बारे में तिब्बती पूजा समिति के सदस्य ओम जी बाबा ने बताया कि तीन दिन की टीचिंग के दौरान दीक्षा होगी.श्रद्धालुओं को बोधिसत्व की दीक्षा दी जाएगी. इसके बाद दलाई लामा की लंबी आयु के लिए कालचक्र मैदान से पूजा की जाएगी. इसके अलावे कल नये साल पर बोधगया के कालचक्र मैदान से बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की लंबी आयु के लिए कालचक्र मैदान से पूजा की जाएगी. इसमें 70-80 हजार श्रद्धालु शामिल होंगे.

50 से 60 हजार श्रद्धालु कार्यक्रम में हुए शामिल

बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के तीसरे दिन के टीचिंग प्रोग्राम में 50 से 60 हजार श्रद्धालु शामिल होंगे. जिनमें अधिकतर विदेशी हैं. बता दें कि बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के प्रवचन को सुनने के लिए न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व से श्रद्धालु आते हैं. जिनमें नेपाल, भूटान, यूरोप, अमेरिका समेत सभी देशों से बौद्ध श्रद्धालु आते हैं.

कालचक्र पूजा क्या है ?

बौद्ध धर्म में कालचक्र पूजा विश्व शांति के लिए अद्भुत प्रार्थना मानी जाती है. इसे ‘कालचक्रयान’ नाम से भी जाना जाता है. कालचक्र अभिषेक द्वारा शांति, करुणा, प्रेम और अहिंसा की भावना को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है. बता दें कि बिहार के बोधगया में अब तक 18 बार कालचक्र पूजा आयोजित की जा चुकी है. मूल रूप से तिब्बत से कालचक्र पूजा की परंपरा शुरू हुई थी, उसके बाद कई देशों और भारत में कालचक्र पूजा की शुरुआत हुई. इस पूजा में तांत्रिक साधना से विश्व शांति की कामना की जाती है. वहीं इसमें जीवित लोगों के लिए शांति और मृत लोगों के लिए मोक्ष की कामना की जाती है. कालचक्र पूजा की अगुवाई बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा करते हैं.

22 दिसंबर को बोधगया पहुंचे थे बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा

गौरतलब है कि दलाई लामा 22 दिसंबर को बोधगया पहुंचे थे. वे यहां लगभग एक माह तक बोधगया में प्रवास करेंगे. इस दौरान यहां कालचक्र पूजा भी होगी. बिहार के बोधगया में अब तक 18 बार कालचक्र पूजा आयोजित की जा चुकी है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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