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बोधगया में जमा हुए 32 देशों के बौद्ध प्रतिनिधि, बोले दलाई लामा- क्रोध और क्लेश पर नियंत्रण से ही शांति संभव

बगैर शांति के आप न तो खुद का हित कर सकेंगे और न ही दूसरों का. उक्त बातें बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने बुधवार को बोधगया में आयोजित इंटरनेशनल संघ फोरम के तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन के बाद कहीं.

बोधगया. शांति के लिए क्रोध व क्लेश को नियंत्रित करना होगा, इसके बाद ही आपका मन व शरीर दोनों स्थिर व शांत हो सकते हैं. बगैर शांति के आप न तो खुद का हित कर सकेंगे और न ही दूसरों का. उक्त बातें बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने बुधवार को बोधगया में आयोजित इंटरनेशनल संघ फोरम के तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन के बाद कहीं.

तीन दिवसीय सम्मेलन में 57 बिंदुओं पर होगी चर्चा

इस कार्यक्रम में 32 देशों के लगभग दो हजार से ज्यादा बौद्ध भिक्षु, संघराजा, बौद्ध स्कॉलर व भिक्षु शामिल थे. तीन दिवसीय सम्मेलन में 57 बिंदुओं पर चर्चा की जायेगी. उल्लेखनीय है कि तीन दिवसीय सम्मेलन में 57 बिंदुओं पर चर्चा की जायेगी जिसमें संस्कृत,पालि व तिब्बत परंपरा को मानने वाले बौद्ध भिक्षुओं व श्रद्धालुओं के बीच आपसी समन्वय स्थापित कर विश्व शांति की दिशा में पहल करनी है.

अंतराष्ट्रीय संघ फोरम 2023 का उद्घाटन

भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया स्थित सांस्कृतिक केंद्र इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में “परंपराओं को जोड़ना, आधुनिकता को अपनाना- आज की दुनिया में बुद्ध की शिक्षा पर एक संवाद” विषय पर आज से शुरू इस तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय संघ फोरम 2023 का उद्घाटन करते हुए दलाई लामा ने कहा कि हर किसी में करुणा पैदा होनी चाहिए. चाहे वह पाली या संस्कृत परंपराओं में बौद्ध धर्म का पालन करते हों.

बोधिचित्त का निरंतर अभ्यास जरूरी

दलाईलामा ने कहा कि शांति से शरीर ठीक रहेगा व इसके बाद ही आप स्वयं के साथ दूसरों के उपकार के बारे में सोच सकते हैं. इसके लिए बोधिचित्त का निरंतर अभ्यास जरूरी है. उन्होंने कहा कि सभी को मालूम है कि तिब्बत के भीतर बहुत सारी समस्याएं हैं, लेकिन इसके लिए क्रोध करने की जरूरत नहीं है, बल्कि समस्याओं से निजात पाने के प्रयास करने होंगे. दूसरों का नुकसान कर कभी भी मन की शांति को प्राप्त नहीं किया जा सकता.

बोधिचित्त के कारण बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ

उन्होंने कहा कि हमें अपने और विश्व शांति के लिए बोधिसत्व की प्रथाओं का पालन करना चाहिए. मैं बोधिसत्व की प्रथाओं का पालन करता हूं और वे मेरे लिए बहुत फायदेमंद हैं. तिब्बती धर्म गुरु ने कहा कि इसी प्रकार बोधिचित्त एक बहुत ही अनमोल अभ्यास है जो आंतरिक शक्ति प्रदान करता है और मैं इसका भी पालन करता हूं. बोधिचित्त के कारण बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ.

क्रोध, घृणा और ईर्ष्या हो जाती है शांत

हमें भी बोधिचित्त का प्रमुखता के साथ पालन करना चाहिए और दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. जब आपके पास बोधिचित्त होता है, तो आप सहज महसूस करते हैं. क्रोध, घृणा और ईर्ष्या शांत हो जाती है. हमें याद रखना चाहिए कि हमें बड़े पैमाने पर दुनिया की सेवा करनी है. हमें समाज की भलाई के लिए काम करना चाहिए. इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी मौजूद थे.

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प्रकृति का संरक्षण बुद्ध दर्शन में भी शामिल

कार्यक्रम में इससे पहले भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए इंटरनेशनल संघ फोरम के डायरेक्टर जेनरल अभिजीत हलधर ने कहा कि विगत कुछ वर्षों में प्रकृति का रुख सही नहीं रह रहा है और प्राकृतिक आपदाएं भी आ रही हैं. बुद्ध ने कहा था कि हम जो प्रकृति को देते हैं व हमें वापस लौटा देती है. दलाई लामा ने भी 1992 में यह बातें कही थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पर्यावरण संरक्षण की बात अंतरराष्ट्रीय मंच पर कह चुके हैं. प्रकृति का संरक्षण बुद्ध दर्शन में भी शामिल है.

इन देशों के लोग ले रहे भाग

आईएसएफ के एक बयान के अनुसार सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशियाई देशों भारत, थाईलैंड, म्यांमा, कंबोडिया, लाओस, श्रीलंका, बांग्लादेश और इंडोनेशिया की पाली परंपराओं के मानने वालों और संस्कृत परंपरा के तिब्बत, भूटान, नेपाल, वियतनाम, चीन, ताइवान, जापान, कोरिया, रूस, मंगोलिया और दुनिया के अन्य हिस्सों के लोगों के बीच संवाद और सहयोग विकसित करना है.

विश्व शांति प्रार्थना सत्र में भाग लेंगे

तिब्बती धर्म गुरु 23 दिसंबर की सुबह महाबोधि स्तूप में जनता के साथ अंतरराष्ट्रीय संघ फोरम के प्रतिनिधियों के साथ विश्व शांति प्रार्थना सत्र में भाग लेंगे. इसके अलावा वे 29, 30 और 31 दिसंबर को बोधगया के कालचक्र मैदान में धार्मिक प्रवचन देंगे. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा की लंबी आयु के लिए एक जनवरी 2024 की सुबह कालचक्र मैदान में विशेष प्रार्थना भी की जाएगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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