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सरकारी विद्यालयों की साफ सफाई के लिए एजेंसियों के आवंटन को लेकर अनियमितता बरतने का मामला उजागर

जिले के सरकारी विद्यालयों में साफ सफाई को लेकर एजेंसियों के चयन में अनियमितता का मामला उजागर हुआ है.

बक्सर. जिले के सरकारी विद्यालयों में साफ सफाई को लेकर एजेंसियों के चयन में अनियमितता का मामला उजागर हुआ है. मामला डीइओ द्वारा जांच के लिए बनायी गयी टीम के द्वारा की गई जांच के बाद सामने आया है. जिला शिक्षा कार्यालय हमेशा से सुर्खियों में रहा है. इस बार जिला शिक्षा कार्यालय एजेंसियों के चयन में अनियमितता को लेकर चर्चा में आया है. इसी कड़ी में यह सामने आया है कि सरकारी विद्यालयों में साफ-सफाई करने वाली हाउसकिपिंग एजेंसियों के कार्य आवंटन में अनियमितता की गयी थी. इसकी रिपोर्ट गठित तीन सदस्यीय टीम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी अमरेंद्र पांडेय को सौंप दी है. जांच में यह सामने आया है कि राज्य स्तर पर हाउसकिपिंग के लिए एजेंसियों का चयन किया गया था. जिसमें बक्सर जिला के लिए तीन एजेंसियों आशा इंटरप्राइजेज, जेकेएसबी और शिव अभिनंदन का चयन हुआ था. इन तीनों को सरकारी विद्यालयों के शौचालय व परिसर की साफ-सफाई करना था. चयनित दो एजेंसियों ने जिला में कार्य करने में अभिरुची नहीं दिखायी. इन दोनों एजेंसियों से जिला शिक्षा कार्यालय ने कई बार संपर्क स्थापित किया, परंतु यह दोनों नहीं आये. विभागीय नियमानुसार रुद्र सागर सेवा संस्थान और आरएस इंटरप्राइजेज को कार्य आवंटित किया गया. इसी बीच तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल द्विवेदी ने जेकेएसबी और आरएस इंटर प्राइजेज से स्पष्टीकरण की मांग की. जिसमें यह उल्लेखित था कि दोनों एजेंसियां कार्य नहीं कर रही है. ससमय स्पष्टीकरण देने के बाद भी जेकेएसबी हाउसकिपिंग एजेंसी से तीन प्रखंड का कार्य फर्स्ट आइडिया नामक एजेंसी को दे दिया गया. वहीं जांच में यह सामने आया है कि जेकेएसबी के कार्य को रद्द करने का समय नहीं दिया गया है. इसकी कोई सूचना या पत्र विभाग से निर्गत नहीं किया गया. बिना किसी सुस्पष्ट आदेश के एकरारनामा रद्द किये बगैर दूसरे एजेंसी को कार्य दें दिया गया. जो एकरारनामा के शर्तों का उल्लंघन है. जांच में यह सामने आया है कि फर्स्ट आइडिया को नियम विरुद्ध कार्य का आवंटन किया गया है. जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि जो एजेंसी सूचीबद्ध नहीं है, उससे दो प्रखंड में कार्य लेना उचित होगा. साथ ही पूर्व में शिक्षा विभाग की ओर से जिला में चयनित एजेंसी जो कार्य करने में अभिरुची रखते है. उन्हें प्राथमिकता देना श्रेयस्कर होगा. विदित हो कि जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति (दिशा) की बैठक में लगातार हाउसकिपिंग एजेंसियों के कार्य आवंटन व कार्य प्रणाली को लेकर मामला उठ रहा था. स्थानीय सांसद सुधाकर सिंह व विधायक डॉ. अजीत कुमार सिंह व अन्य इसकी जांच को लेकर डीएम पर लगातार दबाव बनाये. जिसे लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी अमरेंद्र पांडेय ने टीम गठित की थी. जिससे पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो सके. जांच टीम में डीपीओ (समग्र शिक्षा) शारिक अशरफ, डीपीओ (लेखा-योजना) चंदन द्विवेदी और डीपीओ (माध्यमिक नाजीश अली) शामिल थे. सभी बिंदुओं पर जांच करने के बाद टीम ने अपनी रिपोर्ट डीइओ को सौंप दी है.

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