बक्सर. जिले में लगातार बिजली की लो वोल्टेज और अनियमित आपूर्ति ने आम जनजीवन को बेहाल कर दिया है.दिन के साथ-साथ अब रात में भी लोगों के लिए परेशानी का सामना करना पड रहा है. भीषण गर्मी और उमस भरे माहौल में रात को नींद लेना मुश्किल हो गया है.स्थिति यह हो गई है कि लोग अब सोशल मीडिया के माध्यम से बिजली विभाग पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं और व्यवस्था को कोस रहे हैं. जिले के कई मोहल्लों व गांवों में आए दिन बिजली कटौती और लो वोल्टेज की समस्या बनी हुई है. गर्मी के इस दौर में जब पंखा, कूलर और एसी की सबसे अधिक आवश्यकता होती है, तब बिजली की आंख-मिचौली से लोग तंग आ चुके हैं.ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी गंभीर है, जहां कई बार घंटों बिजली नहीं रहने के कारण लोग रात जागकर गुजारते हैं. शहर के रामरेखा घाट, किला मैदान, स्टेशन रोड,उमरपुर, नाट, सोनवषा , हितन पडरी, सिमरी प्रखंड के ग्रामीण इलाकों के निवासी बताते हैं कि रात के समय वोल्टेज इतना कम हो जाता है कि इन्वर्टर चार्ज तक नहीं हो पाते.पंखा चलना तो दूर, बल्ब तक टिमटिमाने लगते हैं.ऐसे में लोगों को मच्छरों और गर्मी के बीच रात गुजारनी पड़ती है.बिजली की इस लचर व्यवस्था को लेकर अब उपभोक्ता सोशल मीडिया पर विद्युत विभाग को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं.ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर लोग “@SBPDCL” को टैग कर बिजली व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए पोस्ट कर रहे हैं.कई लोग तंज कसते हुए ‘बिजली विभाग बक्सर को विनम्र श्रद्धांजलि’ जैसे वाक्य तक लिख रहे हैं.बाल विकास केन्द्र के डायरेक्टर सतीश चन्द त्रिपाठी, मनोज राय , शिवजी राम, गोरख यादव ने कहा कि हर रोज बिजली कट रही है, और जब आती भी है तो इतनी कम वोल्टेज कि कुछ काम ही नहीं हो पाता.हम लोग सोशल मीडिया पर लिखते हैं ताकि ऊपर तक आवाज पहुंचे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही. ग्रामीण क्षेत्रों में भी कमोबेश यही हाल है.किसान बताते हैं कि रात को ट्यूबवेल नहीं चल पाते, जिससे सिंचाई बाधित हो रही है.बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है. विभागीय सूत्रों के अनुसार ट्रांसफार्मर पर लोड अधिक होने और पुराने जर्जर तारों के कारण वोल्टेज में गिरावट आ रही है.साथ ही बताया जा रहा है. कुछ उपभोक्ताओं का कहना है जब मुख्यमंत्री के द्वारा 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने कि घोषणा किया गया है तब से और बिजली जैसी बुनियादी सुविधा में इस तरह की लापरवाही स्वीकार्य नहीं है.लोगों की मांग है कि गर्मी के इस मौसम में तत्काल प्रभाव से व्यवस्था सुधारी जाए, नहीं तो आंदोलन का रास्ता अपनाना पडे़गा.
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