बक्सर. जिले में स्थित ऐतिहासिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण गोकुल जलाशय के निर्माण कार्य को लेकर राज्य सरकार की ओर से 33 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल चुकी है. लेकिन वन विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र एनओसी के अभाव में अब तक कार्य की शुरुआत नहीं हो सकी है. यह जलाशय लगभग तीन एकड़ में फैला हुआ है और इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है. सरकारी स्तर पर स्वीकृति के बावजूद आवश्यक प्रशासनिक औपचारिकताएं पूरी न होने से यह महत्त्वाकांक्षी परियोजना अधर में लटक गयी है. गोकुल जलाशय को राज्य सरकार द्वारा आदिम संरक्षण एवं प्रबंधन नियम 2017 के तहत अधिसूचित किया गया है.इस परियोजना के अंतर्गत जलाशय के आस- पास बुनियादी संरचनाएं जैसे वॉच टावर, इंटरप्रिटेशन सेंटर, रेस्क्यू सेंटर, टूरिस्ट हब, गेस्ट हाउस आदि का निर्माण किया जाना है. परियोजना के तहत बक्सर के चक्की वन क्षेत्र अंतर्गत धर्मावती नदी के किनारे स्थित गोकुल जलाशय के आसपास चयनित भूमि पर विभिन्न संरचनाओं का निर्माण प्रस्तावित है. इसके लिए 1.25 एकड़ भूमि खाता संख्या-1378, खेसरा संख्या-2711 तथा 1.75 एकड़ भूमि खाता संख्या-1378, खेसरा संख्या-2731 चिह्नित की गयी है. वन विभाग के द्वारा जिलाधिकारी के नेतृत्व में अमीन से सीमांकन का कार्य करवाया गया, जिसमें यह पाया गया कि गायघाट पुल के पश्चिम तथा धर्मावती नदी के उत्तर किनारे पर उक्त भूमि सरकारी रूप से उपलब्ध है. इसके आधार पर संबंधित वन विभाग के द्वारा अंचलाधिकारी को पत्र लिखकर स्थानों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान करने का आग्रह किया गया. हालांकि अब तक अंचल अधिकारी चक्की के द्वारा कोई स्पष्ट अनापत्ति प्रमाण पत्र जिला प्रशासन को नहीं सौंपा गया है. विभागीय स्तर पर वन क्षेत्रीय पदाधिकारी ने जो पत्र भेजा है, उसमें जमीन आवंटन का जिक्र करते हुए जलाशय क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की बात कही गयी है, परंतु निर्माण कार्य के लिए अपेक्षित स्पष्ट अनुमति अब तक नहीं दी गई है. विभागीय जानकारी के अनुसार यदि समय रहते अंचल चक्की से एनओसी नहीं मिलती है तो 33 करोड़ की स्वीकृति वाली यह परियोजना सिर्फ कागजों तक सीमित रह जायेगी. परियोजना को लेकर जिले के प्रशासनिक महकमे और जनप्रतिनिधियों में भी बेचैनी बढ़ती जा रही है. स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि यदि गोकुल जलाशय का समुचित विकास किया जाए तो यह न केवल जिले के पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होगा. पर्यटन विभाग की योजना के अनुसार, इस स्थल को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाना है. इसमें स्थानीय युवाओं को गाइड, सेवा प्रदाता और अन्य क्षेत्रों में रोजगार मिलने की संभावना है.वहीं दूसरी ओर जलाशय के पुनरुद्धार से आसपास के जैव विविधता वाले क्षेत्र को भी संरक्षित किया जा सकेगा. फिलहाल परियोजना की राह अंचल अधिकारी चक्की अनापत्ति प्रमाण पत्र पर टिकी हुई है. वन विभाग ने अंचल अधिकारी चक्की को कई बार पत्राचार के माध्यम से अनुरोध किया है कि जल्द से जल्द प्रक्रिया पूरी की जाए ताकि कार्यारंभ हो सके.यदि प्रक्रिया में और देरी होती है तो परियोजना के लिए जारी धनराशि पर भी प्रश्नचिह्न लग सकता है. बोले अधिकारी 33 करोड़ रुपये की स्वीकृति कैबिनेट से प्राप्त हो गया है जैसे अंचल अधिकारी चक्की के द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल जाएगा. वैसे ही विभाग को सूचना उपलब्ध करा दिया जायेगा. विधि समत कार्रवाई करते हुए निमार्ण का काम शुरू कर दिया जायेगा. सुरेश कुमार रेंजर वन विभाग बक्सर
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