बक्सर.
निर्जला एकादशी के अवसर पर स्नान को लेकर गंगा घाटों पर स्नानार्थियों की भीड़ उमड़ गई. घाटों पर पहुंचने के साथ ही श्रद्धालु गंगा में पावन डुबकी लगाए और निर्जला उपवास रहने के संकल्प के साथ भगवान विष्णु की आराधना किए. इस अवसर पर संतान की सलामती के लिए लोगों ने अपने बच्चों के मुंडन संस्कार की रस्म भी पूरी कराई. इसके चलते रामरेखाघाट पर भीड़ इतनी बढ़ गई थी कि वहां तिल रखने तक की जगह नहीं थी. एकादशी स्नान एवं मुंडन संस्कार के लिए लोग दूर-दराज से पहुंचे थे. पौराणिक मान्यता के अनुसार एकादशी का व्रत संसार के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है. एकादशी का व्रत हर महीने में दो तथा साल में 24 होते हैं. जिसमें से निर्जला एकादशी का महात्म्य विशेष माना जाता है. यह एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है. इस दिन बगैर जल ग्रहण किए चौबीस घंटे का उपवास रखने का विधान है. फलाहार व जलाहार से रहित व्रत के विधान के कारण ही इसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. ज्योतिषाचार्य पं.मुन्ना जी चौबे के मुताबिक जो व्रती निर्जला एकादशी का विधि-विधान से व्रत रखते हैं उन्हें अन्य एकादशी का व्रत नहीं करने पर भी 24 एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है. भीड़ की संभावना को देखते हुए प्रशासनिक अलर्ट जारी कर दिया गया था. जिसको लेकर चौक-चौराहों पर पुलिस बल तैनात थी तथा ट्रैफिक को व्यवस्थित करने में हांफ रही थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है