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फाइल-4- जीवन मे भक्ति, ज्ञान वैराग्य तीनों जरूरी है : स्वामी बैकुंठ नाथ कंश वध लीला की कथा के साथ भागवत ज्ञान यज्ञ का हुआ समापन

जीवन में भक्ति,ज्ञान वैराग्य तीनों जरूरी है :स्वामी बैकुण्ठ नाथ

10 नवंबर- फोटो- 5- कथा वाचन करते स्वामी बैकुंठनाथ. राजपुर. प्रखंड के नागपुर पंचायत के कठजा गांव के अशोक उपाध्याय के नेतृत्व में शिव मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में अंतिम कथावाचन के साथ समाप्त हो गया. स्वामी बैकुंठनाथ ने कथा वाचन कर कहा कि भोजन करना सब जानते है, भोजन करना कैसे है इसको सिखने में पुरा जीवन लग जाता है. बोलना सब जानते है, परन्तु बोलना क्या है, कैसे बोलना है इसको सीखने में भी पुरा जीवन लग जाता है और हमे इन सब की शिक्षा मिलेगी कैसे? इसके लिए हमें गुरु की जरूरत होती है. भगवान भी शिक्षा और संस्कार के लिए गुरु के पास जाते हैं. इस पर आज की शिक्षा, गोपियों की भक्ती, कंस का वध करने के लिए कम उम्र में मथुरा जाना जीवन में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य तीनों जरूरी है. कंस वध की कथा का वर्णन करते हुए बैकुण्ठ नाथ स्वामी जी ने कहा अक्रुर जी भगवान श्री कृष्ण को जब वृन्दावन से मथुरापुरी ले जाने के लिए वृन्दावन पहुंचते हैं तो पूरे ब्रजमंडल में यह खबर जंगल की आग की तरह फैल जाती है है कि हमारे प्राण प्रियतम को कोई परदेशी लेने आया है. हमलोगों से दूर करने के लिए, यानी भगवान को मथुरा ले जाने के लिए तो वही समाचार सुन सब रात भर जगे रहे. स्वामी ने कहा जिस नैनो में नीर हो तो वहा नींद कैसे आ सकती है. और वहीं भगवान जब मथुरा जाने लगे तो गोपियों से कहते हैं मैं देवताओं की तरह लंबी उम्र पार करके भी आप सबके ऋण से उरिण नहीं हो सकता. गोपियों ने भी कहीं हमारी खुशी उसी में है. जिसमें आप खुश हो. भक्ति यही है जो भगवान के अनुकूलता में रहता हो, वही भक्त है. कथा के दौरान कंस का वध करने के जब भगवान जाने लगते हैं. उस समय के दृश्य का ऐसा वर्णन किया मानो सब कुछ आखों के सामने हो रहा हो. सिर्फ ग्यारह वर्ष के भगवान कृष्ण को मथुरापुरी जाने की खबर जब वृन्दावन वासी को लगा, तो सभी का मन दुखी हो गया. मैया यसोदा तो मूर्छित हो गयी. लाखों गोपियों ग्वाल बाल सब रोने लगे. इस भाव को संगीतमय भजन से तेरी अखियां है जादूभरी, बिहारी मैं तो कब से खड़ी…..सुन लो मेरे श्याम सलोना तुमने ही मुझ पर कर दिया टोना … भजन पर कथा सुनने पहुंचे श्रद्धालु भक्त झूमते हुए भाव विभोर हो गये.

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