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Buxar News: महिलाओं की भागीदारी व उम्मीदों का दस्तावेजीकरण है संवाद

महिला संवाद कार्यक्रम रविवार को 50वें दिन आयोजित हुआ. अब अपने 50वें दिन में पहुंच गया है और इसके साथ ही महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है.

बक्सर

. महिला संवाद कार्यक्रम रविवार को 50वें दिन आयोजित हुआ. अब अपने 50वें दिन में पहुंच गया है और इसके साथ ही महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है. गांवों की महिलाएं, किशोरियां और छात्राएं अब अपनी आवश्यकताओं, समस्याओं और मांगों को खुलकर साझा कर रही हैं. इस ऐतिहासिक अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों की 2700 से अधिक महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया, जिससे यह सिद्ध हुआ कि यह पहल महिलाओं की आकांक्षाओं को स्वर देने में अत्यंत सफल रही है. दिनांक 18 अप्रैल 2025 से आरंभ हुआ. यह संवाद अभियान 15 जून 2025 तक चलाया जाएगा. जिसमें जीविका के ग्राम संगठन स्तर पर महिलाओं के साथ सीधा संवाद स्थापित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही महिला सशक्तिकरण की योजनाओं की जानकारी ग्रामीण महिलाओं तक पहुंचाना और उन्हें सरकार की मुख्यधारा से जोड़ना है.

अब तक कुल 821 महिला संवाद कार्यक्रमों का सफल आयोजन किया जा चुका है, जिसमें 1 लाख 70 हजार से अधिक महिलाओं ने भाग लिया है. कार्यक्रम के दौरान महिलाओं और युवतियों ने अपने अनुभव साझा किए. किस प्रकार सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर वे आज स्वावलंबी बनी हैं और किस तरह वे आगे अपने समुदाय में बदलाव लाने की इच्छुक हैं. महिलाओं द्वारा अब तक कुल 21 हजार 916 आकांक्षाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें से 797 आकांक्षाओं का डिजिटल दस्तावेजीकरण पूरा किया जा चुका है. ये आकांक्षाएं अब संबंधित विभागों के माध्यम से विश्लेषण की प्रक्रिया में हैं, ताकि इन्हें भविष्य की योजनाओं और स्थानीय विकास नीतियों में शामिल किया जा सके. कार्यक्रम में एलईडी स्क्रीन युक्त संवाद रथ के माध्यम से सरकार की प्रमुख योजनाओं को फ़िल्म के रूप में दिखाया गया. जिनमें मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना, साइकिल योजना, महिला उद्यमी योजना, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, किशोरी स्वास्थ्य योजना, सतत जीविकोपार्जन योजना, दीदी का अधिकार केंद्र और दीदी की रसोई शामिल थीं. जिनमें मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना, साइकिल योजना, महिला उद्यमी योजना, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, किशोरी स्वास्थ्य योजना, सतत जीविकोपार्जन योजना, दीदी का अधिकार केंद्र और दीदी की रसोई शामिल थीं.यह जागरूकता पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम है. कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित अधिकारी एवं जीविका कर्मी इन मांगों को न सिर्फ सुन रहे हैं, बल्कि प्राथमिकता के आधार पर समाधान की दिशा में त्वरित कार्यवाही भी कर रहे हैं. छोटी-छोटी ज़रूरतों से लेकर बड़ी सामुदायिक मांगों तक को सुचिवद्ध कर एकत्र किया जा रहा है, जिन्हें मोबाइल एप के माध्यम से संबंधित विभागों तक भेजा जा रहा है. महिला संवाद कार्यक्रम अब समापन की ओर बढ़ रहा है और अब अंतिम दिनों में महिलाओं की सहभागिता और तेज़ हो गई है. उन्हें यह विश्वास हुआ है कि उनकी बातें सुनी जा रही हैं, उनका दस्तावेजीकरण हो रहा है, और उन पर कार्रवाई की जा रही है.

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