बक्सर. सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रगति यात्रा के दौरान जिले में 15 फरवरी को आगमन हुआ था. जिसको लेकर जिला प्रशासन के द्वारा दुधारचक से मिशन मोड़ तक रोड़ बनाने का काम शुरू किया गया था. महज कुछ दूर तक मिशन मोड़ से लेकर नगरपूरा तक बनाया गया था. यह सड़क आज भी आज भी आधा-अधूरा पड़ा है. ग्रामीण को कहना है कि जिले के मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर शुरू की गई सड़क निर्माण योजना अभी तक अधूरी पड़ी हुई है. कुल 5.850 किलोमीटर लंबी इस सड़क को चार करोड़ 32 हजार 993 लाख रुपये की लागत से बनाया जाना था. निर्माण कार्य की शुरुआत मुख्यमंत्री के प्रस्तावित दौरे को ध्यान में रखते हुए की गयी थी और लक्ष्य था कि सड़क समय पर बनकर तैयार हो जाये, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी न तो सड़क पूरी हुई और न ही लोगों की परेशानियां खत्म हुई हैं. उमरपुर पंचायत के मुखिया धनंजय मिश्रा का कहना है कि अधूरी सड़क के कारण लोगों को रोजाना की आवाजाही में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि एक दिन की बारिश होने के वजह से यह स्थिति और भी भयावह हो गयी है. जगह-जगह कीचड़, गड्ढे और अधूरे निर्माण के कारण दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. कई बार लोग गिरकर घायल हो चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों की उदासीनता साफ नजर आती है. निर्माण कार्य का शुभारंभ फरवरी माह में ही शुरू हुआ, मगर अभी तक अधूरा : सड़क निर्माण कार्य की शुरुआत फरवरी महीने में की गयी थी. विभागीय सूत्रों के अनुसार इसे तीन महीने में पूर्ण करना था, लेकिन अब जून का मध्य चल रहा है और सड़क अभी भी अधूरी पड़ी है. कार्यस्थल पर न तो निर्माण कार्य की गति तीव्र है और न ही पर्याप्त संसाधन व सामान हैं. जिससे कार्य पूरा किया जा सके. इससे यह साफ होता है कि सड़क निर्माण को लेकर ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं और न ही निर्माण एजेंसी. अब तक नहीं लगाया गया योजना पट्ट : इतना बड़ा निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन अब तक योजना पट्ट यानी प्रोजेक्ट का बोर्ड नहीं लगाया गया है. नियमानुसार किसी भी सार्वजनिक निर्माण कार्य स्थल पर योजना पट्ट निर्माण कार्य शुरू होने से एक सप्ताह पहले ही लगाया जाना अनिवार्य होता है, जिसमें कार्य की लागत, शुरू और समाप्ति तिथि, कार्यकारी एजेंसी का नाम, अनुबंधकर्ता की जानकारी सहित अन्य विवरण होते हैं. यह आम जनता की जानकारी के लिए बेहद जरूरी होता है, लेकिन यहां पारदर्शिता का यह पहलू पूरी तरह गायब है. मुख्यमंत्री के आगमन से जुड़ा था प्रोजेक्ट : इस सड़क का निर्माण कार्य उस समय शुरू किया गया था जब मुख्यमंत्री का प्रस्तावित दौरा 15 फरवरी को तय था. स्थानीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के स्वागत को लेकर तैयारियों की सूची में इस सड़क को शामिल किया था. काम की स्वीकृति तेजी से दी गई और निर्माण शुरू भी हो गया, लेकिन समय बीतते ही जोश ठंडा पड़ गया और अब न तो अधिकारी ध्यान दे रहे हैं और न ही ठेकेदार की कोई जवाबदेही दिख रही है. आम लोगों की बढ़ी परेशानी : दुधारचक और मिशन मोड़ के बीच रोजाना काफी संख्या में लोग जिला मुख्यालय, सदर प्रखंड, अन्य कामों के लिए स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और बाजार के लिए सफर करते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को स्कूल पहुंचने में खासा दिक्कत होती है. मोटरसाइकिल सवारों को कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है. मगर इस पूरे मामले पर अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने कोई ठोस बयान नहीं दिया है. क्षेत्रीय विधायक और जिला परिषद सदस्य इस मुद्दे पर मौन हैं, जबकि चुनाव के समय इसी सड़क का मुद्दा उठाया गया था. जनता में इसको लेकर रोष व्याप्त है. ग्रामीणों बिटु कुमार का कहना है कि यदि जल्द ही सड़क निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ तो वे जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत करेंगे. क्या कहते हैं अधिकारी दुधारचक से मिशन मोड़ रोड़ के कुछ भाग में मुख्यमंत्री के प्रगति यात्रा से पहले काम हुआ है. बाकी भाग में काम चल रहा है. कंप्लीट होने में कुछ समय लगेगा, क्योंकि अब तो जिला में माॅनसून भी आ गया है. बाकी लेबल का काम चल रहा है. वही सूचना पट्ट के बारे में कहा कि सूचना पट्ट बन रहा है. जल्द ही उसे लगा दिया जायेगा. रणविजय कुमार, कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग
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