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buxar news : मामला बेहद संवेदनशील, डीएसपी स्तर के अधिकारी से कराएं जांच : पॉक्सो कोर्ट

buxar news : बालगृह के नाबालिग बच्चों के प्राइवेट पार्ट पर मिर्च पाउडर लगाने का मामलामुख्य आरोपित तत्कालीन अधीक्षक बालगृह को बचाने के लिए की गयी सभी करवाई, जांच अधिकारी बदलें एसपीदो महीने में होनी थी जांच, 18 महीने बाद भी कोई प्रगति नहींहाइकोर्ट के संज्ञान में लाने के लिए भेजी गयी आदेश की प्रति

बक्सर कोर्ट. बक्सर नगर थाना कांड संख्या 671/2023 की प्रगति एवं जांच से पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश खासा नाराज हैं. कोर्ट ने अपने सात पृष्ठों के आदेश में हर पहलुओं पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है. बालगृह के नाबालिग बच्चों के साथ हुए शर्मनाक कृत्य पर न्यायालय ने कहा है कि कोर्ट अपने को दुर्भाग्यपूर्ण महसूस करता है. बहुत ही संवेदनशील मामले की जांच असंवेदनशीलता के साथ की गयी है. बताते चलें कि बालगृह में आवासित नाबालिग बच्चों के प्राइवेट पार्ट पर मिर्च पाउडर लगाने की घटना को लेकर दिसंबर 2023 में समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित हुई थी, जिसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एसपी बक्सर से रिपोर्ट मांगी थी, जिसकी जांच डीएसपी बक्सर से करायी गयी थी, जिसमें घटना को सत्य बताया गया था. इसके बाद एसपी बक्सर के निर्देशानुसार नगर थाने में 13 दिसंबर, 2023 को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया था. मानवता को शर्मशार करने वाली यह घटना एक बार फिर तूल पकड़ने लगा है, जब पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश अमित कुमार शर्मा की अदालत ने वैसे मामलों की जानकारी लेनी शुरू की, जो अंतिम रिपोर्ट के लिए लंबित है. रिकॉर्ड देखने के बाद कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए आदेश पारित किया है. आदेश में यह स्पष्ट लिखा गया है कि 164 के तहत पीड़ित नाबालिग का बयान न्यायालय में दर्ज किया गया था, लेकिन मानसिक रूप से मंदबुद्धि होने के बावजूद उसकी योग्यता से संतुष्ट होने तथा सक्षम पाने के बाद ही बयान दर्ज किया गया. गवाही में पीड़ित ने साफ तौर पर कहा था कि बाथरूम में बंद कर उसके एवं अन्य बच्चों के प्राइवेट पार्ट पर मिर्ची पाउडर रगड़ा जाता है, जहां एक मैडम उपस्थित रहती हैं तथा ऐसा कुकृत्य करवाती हैं. इसके बाद उनकी जमकर पिटाई भी की जाती है. पीड़ित ने बताया था कि उसके माता-पिता पटना में रहते हैं तथा वह घर से भागी थी. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इसमें कोई संकोच नहीं है कि सभी करवाई चाहे जांच रिपोर्ट हो या मुख्य आरोपित तत्कालीन अधीक्षक बालगृह को बचाने एवं लाभ पहुंचाने के लिए की गयी है. आदेश में उन सभी पहलुओं को भी उठाया गया है, जिससे जांच प्रभावित हुई है तथा यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 13 दिसंबर, 2023 को प्राथमिकी दर्ज की गयी, लेकिन 25 मार्च, 2025 तक जांच अधिकारी ने न तो प्रगति रिपोर्ट दाखिल की और न ही अदालत में इस संबंध में कानूनी प्रक्रिया के लिए कोई आवेदन ही समर्पित किया है. न्यायालय ने उक्त मामले को लेकर पॉक्सो की धारा 10 का भी हवाला दिया है, जिसके तहत ऐसे मामलों में गंभीर यौन हमले के लिए सजा का प्रावधान है. एसपी को जांच अधिकारी बदलने का निर्देश देते हुए डीएसपी स्तर के अधिकारी द्वारा जांच कराने का निर्देश देते हुए मामले को बेहद संवेदनशील बताते हुए आदेश के प्रति को किशोर न्यास सचिवालय एवं पटना उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने के लिए अग्रसारित किया गया है. कोर्ट के आदेश के बाद उक्त मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है, जिसमें कई अधिकारियों के ऊपर गाज गिर सकती है.

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