बक्सर .
शनिवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर अलग-अलग जगहों पर विभिन्न संगठनों की ओर से योग कराया गया. इसी क्रम में पुलिस लाइन, केंद्रीय कारागार और जिला न्यायालय परिसर में आयोजित तीन महत्वपूर्ण योग कार्यशालाओं का संचालन आर्ट ऑफ लिविंग के बैनर तले किया गया. केंद्रीय कारागार में एक विशेष ध्यान एवं योग कार्यशाला का आयोजन जेल के विचाराधीन एवं सजायाफ्ता बंदियों के लिए आयोजित की गयी. जिसका उद्देश्य उनके आंतरिक परिवर्तन, मानसिक शांति और सकारात्मक जीवन दृष्टिकोण का विकास करना था. इस विशेष सत्र का संचालन आर्ट ऑफ लिविंग की प्रशिक्षित फैकल्टी, योग एवं ध्यान प्रशिक्षिका, सामाजिक कार्यकर्ता और जीवन प्रशिक्षक वर्षा पांडेय द्वारा किया गया. जिन्होंने वर्षों से समाज के वंचित, पीड़ित और पुनर्वास की राह पर अग्रसर वर्गों के बीच योग और ध्यान के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया है. इस मौके पर वर्षा पांडे ने कहा कि योग केवल शरीर की कसरत नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा है. यह हमें अपने भीतर के अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाली साधना है. कारागार की दीवारें भले सीमित हों, पर चेतना और परिवर्तन की उड़ान असीम होती है. इस मौके पर संख्या में बंदियों ने भाग लेकर गहन एकाग्रता और भावुकता के साथ सहभागिता दिखायी. कार्यक्रम के अंत में जेल प्रशासन ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन बंदियों के मानसिक और भावनात्मक पुनर्वास में अत्यंत सहायक सिद्ध होते हैं. जबकि बक्सर चैम्बर ऑफ कॉमर्स की ओर से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर गोयल स्मृति भवन के परिसर में योग कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष सत्यदेव प्रसाद द्वारा लोगों को योगा कराया गया. इस मौके पर सचिव दौलत चंद गुप्ता, डाॅ महेंद्र प्रसाद, विनय कुमार, अशोक वर्मा, अनिल मानसिका, आशीष गुप्ता, रोहतास गोयल, संजय मिश्र, दीपक अग्रवाल, निर्मल कुमार सिंह, रिंकू सर्राफ समेत तमाम लोग उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है