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कैसे होगा सफल विशेष सर्वें का कार्य जब उपलब्ध ही नहीं है 104 राजस्व गांवों के खतियान

जिले के 104 राजस्व गांवों का मूल खतियान ही विशेष सर्वेक्षण कार्यालय को अभी तक प्राप्त नहीं हुआ.

बक्सर. राजस्व विभाग द्वारा जिले में चलाया जा रहा विशेष सर्वेक्षण कार्य एक अहम योजना है, जिसका उद्देश्य है कि प्रत्येक राजस्व गांव की भूमि का अद्यतन सर्वेक्षण कर खसरा, खतियान, नक्शा आदि दस्तावेजों को अद्यतन किया जा सकें. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इस सर्वे अभियान की सफलता की ओर ले जाने के लिए जिन बुनियादी दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, वे ही अब तक विभाग के पास उपलब्ध नहीं हैं. जिले के 104 राजस्व गांवों का मूल खतियान ही विशेष सर्वेक्षण कार्यालय को अभी तक प्राप्त नहीं हुआ. जिसको लेकर निदेशालय बिहार सरकार को व सर्वेक्षण कार्यालय गुलजारबाग को बार विभाग के तरफ से मांग किया जा रहा है लेकिन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. जिसके वजह से सर्वे कार्य बाधित हो रहा है. खतियान की अनुपलब्धता बनी बड़ी बाधा : विशेष सर्वे अधिकारियों की मानें तो जिन 104 गांवों में खतियान उपलब्ध नहीं है, वहां सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू करना संभव नहीं हो पा रहा है. खतियान दस्तावेज़ वह आधार है, जिसके बिना न तो किसी भू-स्वामी की जमीन का सही निर्धारण हो सकता है, और न ही उस पर दावा या आपत्ति का निपटारा संभव है. बगैर खतियान के कोई भी मापी या सीमांकन वैध नहीं माना जा सकता. इससे स्पष्ट है कि खतियान की अनुपलब्धता विशेष सर्वेक्षण की प्रक्रिया को अधर में डाल रही है. वर्षो से लंबित है खतियान निर्माण कार्य : सूत्रों के अनुसार इन 104 गांवों में खतियान निर्माण की प्रक्रिया वर्षों से लंबित है. जिसमें रिविजनल सर्वे के आठ राजस्व गांव तो चक खतियान के 97 राजस्व गांव के खतियान नहीं है उपलब्ध. इनमें से कई गांव ऐसे भी हैं जहां अंतिम सीमांकन हो चुका है, लेकिन खतियान तैयार करने की प्रक्रिया में ढिलाई बरती गयी. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि भूलेख कंप्यूटराइजेशन, पुराने अभिलेखों की खराब हालत और सीमित मानव संसाधनों के कारण यह कार्य समय से पूरा नहीं हो सका. सर्वे कर्मी और आम जनता दोनों असमंजस में : इन गांवों में कार्यरत विशेष सर्वे टीम के कर्मी भी इस स्थिति में असहज हैं. उनका कहना है कि जब उन्हें सर्वे के लिए गांव भेजा जाता है और खतियान नहीं मिलता तो वे न तो खाता संख्या निर्धारित कर सकते हैं, न ही भू-स्वामियों की पहचान कर सकते हैं. इससे सर्वे का कार्य सिर्फ कागज पर ही रह जाता है. वहीं आम ग्रामीणों को भी यह समझ नहीं आ रहा कि जब उनके गांव का रिकॉर्ड ही नहीं है, तो सर्वे टीम क्या काम कर रही है. भू-स्वामियों में आक्रोश : कई प्रभावित गांवों के ग्रामीणों ने इस मुद्दे पर प्रशासन के प्रति नाराजगी जतायी है. उनका कहना है कि वर्षों से सरकार यह कहती रही कि विशेष सर्वे से सभी भूमि विवादों का समाधान होगा, लेकिन जब उनके गांव का खतियान ही नहीं बना, तो समाधान कैसे होगा. विशेष सर्वे अभियान का महत्व : राज्य सरकार द्वारा शुरू किया गया विशेष सर्वे अभियान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे राजस्व अभिलेखों को अद्यतन करने, भूमिहीनों को अधिकार दिलाने और भूमि विवादों को सुलझाने में बड़ी मदद मिलती है. यह अभियान डिजिटल इंडिया के तहत भू-स्वामित्व से जुड़े दस्तावेजों को डिजिटाइज करने की दिशा में भी अहम कदम है. लेकिन जब अभियान के आधारभूत दस्तावेज ही नहीं होंगे, तो यह योजना लक्ष्य तक कैसे पहुँचेगी, यह बड़ा सवाल है. विशेष सर्वेक्षण एक दूरदर्शी योजना है, लेकिन इसकी सफलता के लिए मूलभूत दस्तावेजों की उपलब्धता अनिवार्य है. यदि 104 राजस्व गांवों के खतियान उपलब्ध नहीं हैं, तो जिले में विशेष सर्वेक्षण का कार्य चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि खतियान जमीन से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज होते हैं जो जमीन मालिक का नाम, रकवा, प्लॉट नंबर, मौजा का नाम और चौहद्दी जैसी जानकारी प्रदान करते हैं. किस प्रखंड के किन राजस्व गांव के नहीं उपलब्ध है खतियान राजपुर प्रखंड के ज्ञानीचक, पासीपुर, ननिऔरा, ओडवर, जगनपुरा, त्रिलोचनपुर, बभनी, मटुकीपुर, मनिया, मनजितचक, बभनौलिया, विशवम्मरपुर, शाहपुर, गजशंकरी, मांगोपुर, बावनबांध गौरी, लोदीपुर, रननी, बधेलवा, बलरामपुर, सरायां, खेमराजपुर, नारायणपुर, त्रिकालपुर, छतनडिहरा, ईश्वरपुरा, भलुआ, सरांव, रूपापोखर, पर्वतचक, प्यारीचक, शहबाजपुर, सैकुआं, धुरहुपुर, पांडेयपुर, खिलला, गजहरी, टिकैतपुर, जम्मूपुर, सिताबपुर, सोनी, परमानेदपुर, मोहरिहान, मधुबनी, महेश डिहरा,छतुपुर, नारायणपुर, मनोहरपुर, मकसूदनचक, रामपुर, भगवानपुर, रायपुर, मनिपुर, कैयहर खुर्द, सुगरा,जैतपुरा, सैतापुर, मोहनपुर, विशनपुर, कठजा, पिपरा, रामधनपुरा, चिंतानपुर, पाचीपुर,रतनचक, दुलफा, चौबेपुर, सुजायतपुर, संसारपुर, मलहीपुर, गंगापुर, गोगही व बहुआरा. इटाड़ी प्रखंड के पिथरी, गेरुआबांध, भेलुपुर, धेउरिया, बनिया पथपुर, कादापुर खुर्द, मुस्तफापुर, तिरपुरवा चौसा प्रखंड के हिंगुहि, होलरटीकर व अलावलपुर. सिमरी प्रखंड के रजौली, सेमरौना, सोनिकपुर, राजीपाह,कंसपटटी, धुसरीधारी, भारत पाव, मझवारी गौतम नावावनगर प्रखंड के परमानपुर व मनहथा. बक्सर प्रखंड के कोडरवा डुमरांव प्रखंड के रंजडीहा, बसगीतिया, उदयरामपुर, डिहरी, शाहपुर चौगाई प्रखंड के वैदा छोटकाडीह नहीं उपलब्ध है. चक खतियान तो इटाड़ी प्रखंड के इटौनहा, सिमरी प्रखंड के परनही कला नौबरार, खौरा बहामपुर प्रखंड के नौनीजोर, बगही चुल्हन चक, चक फेरालाल, मोबारकपुर का नहीं उपलब्ध है रिविजनल सर्वे का खतियान. क्या कहते हैं अधिकारी खतियान के लिए भूमि राजस्व विभाग के निदेशालय को और सर्वेक्षण कार्यालय गुलजारबाग को पत्र लिखा गया है. जिसे ही उपलब्ध होता इन सभी 104 राजस्व गांव का विशेष सर्वे की काम में तेजी आ जायेगी. सुनील कुमार सिंह, जिला बंदोबस्त पदाधिकारी

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