बक्सर
. अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने सोमवार को बट सावित्री का व्रत रखा. व्रतियों ने विधि-विधान के साथ बरगद वृक्ष की पूजा की तथा वृक्ष के तने में कच्चा सूत लपेटते हुए परिक्रमा कीं और पति की लंबी आयु के साथ ही वैवाहिक जीवन सुख होने की कामनाएं कीं. इसको लेकर यहां के विभिन्न गंगा तटों पर महिला श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ गया था, लेकिन पौराणिक महत्व वाले रामरेखाघाट पर भीड़ का नजारा देखते ही बन रहा था. वहां शहर के अलावा सुदूरवर्ती इलाके से भी महिलाएं पहुंची थीं.गंगा में डुबकी लगाने के बाद व्रती आचार्यों के सान्निध्य में पूजन-अर्चन किए और सावित्री सत्यवान की कथा श्रवण किए. इसके बाद आचार्यों को सुहाग के सामान दान किए. ज्योतिषाचार्य पं.मुन्ना जी चौबे ने बताया कि पति के दीर्घ जीवन एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए बट सावित्री व्रत का अनुष्ठान किया जाता है. यह पर्व तीन दिनों का होता है. जिसका शुभारंभ ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को होता है तथा अमावस्या तिथि को समापन होता है. इस व्रत का अनुष्ठान सबसे पहले सावित्री ने किया था. जिसके प्रभाव से सावित्री ने न केवल अपने पति सत्यवान को मौत के मुंह से निकाल ली थी, बल्कि उनकी उम्र भी लंबी हो गई. यही नहीं व्रत के प्रभाव से उनके अंधे सास-ससुर की आखों की रोशनी लौट आई और उनका खोया हुआ राज-पाट दोबारा मिल गया था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है