केसठ
. प्रखंड के केसठ सोनवर्षा मार्ग पर स्थित डिहरा गांव के समीप अवस्थित विशाल प्राचीन पोखरा धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोते जा रहा है. बुजुर्ग लोगों की मानें तो यह पोखरा बावन बीघे में फैला था. अब इसका रकबा दिनों दिन कम होते जा रहा है. पर इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. ऐतिहासिक रहा है तालाब का महत्वडिहरा गांव में बावन बीघे का प्राचीन तालाब है. जिसे चेरो खरवारों ने मवेशियों को पानी पीने, स्नान करने व फसल की सिंचाई को लेकर स्वयं तालाब खुदाई किया था. तालाब के किनारे भगवान शिव का प्राचीन मंदिर भी है. उस जमाने में यह पोखरा सालों भर पानी से लबालब भरा रहता था. जहां आसपास की आबादी पोखरे के पानी का उपयोग खेतों की सिंचाई से लेकर कपडे़ धोने, खुद स्नान करने एवं मवेशियों को नहलाने सहित दूसरे कामों में करती थी. आज यह पोखरा सुख गया है. इस ऐतिहासिक पोखरा के विकास को लेकर अब तक न जनप्रतिनिधि एवं न प्रशासन ने कोई पहल किया है. कभी सालों लबालब भरा रहता था पानी : कभी पानी से सालों भर लबालब रहने वाले इस पोखरे में अब बरसात के दिनों में भी भरपूर पानी नहीं रहता है .जिससे इसका अस्तित्व धीरे-धीरे मिटने के कगार पर है. अगर इस विशाल तालाब का उचित रख रखाव किया जाए तो यह जल संरक्षण के लिए बेहतर साधन साबित हो सकता है.यह तालाब अतिक्रमण का शिकार होता जा रहा है. अब नया सूर्य मंदिर भी बन गया है. जहां छठ पूजा अनुष्ठान करने को लेकर छठ व्रतियों की भीड़ जूटती है. उस समय यह पोखरा भी अस्तित्व में आया था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है