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अटांव पंचायत के जीविका में हुई गड़बड़ी में केेवल बैंक मित्र पर कार्रवाई को लेकर उठने लगे सवाल

जिले के अटांव पंचायत के जीविका में हुए बड़ी गड़बड़ी मामले में केवल एक बैंक मित्र को ही विभागीय स्तर पर दोषी करार दिया गया है.

बक्सर. जिले के अटांव पंचायत के जीविका में हुए बड़ी गड़बड़ी मामले में केवल एक बैंक मित्र को ही विभागीय स्तर पर दोषी करार दिया गया है. जांच रिपोर्ट के माध्यम से जीविका द्धारा बैंक मित्र खुशबू कुमारी को ही गबन के मामले मे दोषी बताया गया है. जिसपर प्रमंडलीय आयुक्त चंद्रशेखर सिंह ने जांच में गड़बड़ी के मामले की अबतक की जांच पर असंतोष जताया है. जिसकी जीविका डीपीएम को जांच करते हुए संबंधित दोषी लोगों पर कारवाई करने का निर्देश दिया है. वहीं विभाग के जांच कमेटी के जांच रिपोर्ट पर अब सवाल उठने लगे है. वहीं यह बात भी सामने आने लगी है कि इस पूरी घटना को एक दिन में अंजाम नहीं दिया गया है. बल्कि काफी लंबी अवधि में इसे अंजाम दिया गया है. वहीं विभागीय सूत्रों की मानें तो कई स्तरों पर जीविका के तहत संचालित कार्यों की मॉनिटरिंग होती है. जिसपर विभाग के किसी अधिकारी व संबंधित कर्मियों द्धारा किसी प्रकार की कारवाई नहीं किया गया है. जो इस गबन मामले में विभाग की लापरवाही या मिली भगत कही जा सकती है. इतने बड़े मामले को लेकर अब यह सवाल उठने लगा है कि 25 लाख रुपया गबन की दोषी आखिर अकेले बैंक मित्र ही दोषी कैसे हो सकती है. आखिर जो लोग मॉनिटरिंग के लिए उत्तरदायी है उन्होंने मामले के उजागर होने के पहले कारवाई क्यों नहीं किया. मिली जानकारी के अनुसार बैंक मित्र जो भी पैसा जमा निकासी करता है, उसका प्रतिदिन सारा डिटेल्स जीविका के ग्रुप में या व्यक्तिगत बीपीएम एवं सीसी के पास भेजा जाता है. एक दिन में 25 लाख रुपया गबन तो किया गया नहीं है. इन्हीं सभी कार्यों की देखरेख के लिए जीविका प्रबंधन परियोजना में निचले स्तर से सामुदायिक समन्वय की तैनाती है. इसके साथ ही जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय समन्वय, बीपीएम तीनों अधिकारी की देखरेख मॉनिटरिंग के लिए सरकार लाखों रुपया वेतन भत्ता अन्य सुविधा देती है. जिनके बिना मिली भगत के यह गबन संभव नहीं है. विभागीय सूत्रों के अनुसार तत्कालीन सीसी उपेंद्र कुमार पूर्व के तीन साल में क्यों नहीं कारवाई की गयी है. मामले को लेकर डीपीएम जीविका चंदन कुमार सुमन से बात करने का प्रयास मोबाइल नंबर पर किया गया. लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.

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